चुनावी बॉन्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट में SBI के खिलाफ अवमानना याचिका, समयसीमा में नहीं दी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 6 मार्च तक जानकारी साझा करने को कहा था। अभी तक SBI ने ये जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है। इसके कारण अब मामले में SBI के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से दायर इस याचिका में बैंक के कोर्ट का आदेश न मानने की बात कही गई है।
11 मार्च को हो सकती है सुनवाई
ADR की याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई हो सकती है। ADR ने कहा कि समयसीमा बढ़ाने की मांग दुर्भावनापूर्ण और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पारदर्शिता को विफल करने का प्रयास है। बता दें कि SBI ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समयसीमा बढ़ाने की मांग की है। बैंक ने 6 मार्च की समयसीमा को आगे बढ़ाकर 30 जून तक करने की मांग की है। इस याचिका पर भी 11 मार्च को सुनवाई हो सकती है।
SBI ने समयसीमा बढ़ाने के पीछे क्या तर्क दिया?
SBI ने अपने आवेदन में कोर्ट से कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक 22,217 चुनावी बॉन्ड जारी किए गए और भुनाए गए बॉन्ड को प्रत्येक चरण के आखिर में अधिकृत शाखाओं द्वारा मुंबई स्थित मुख्य शाखा में जमा किया गया था। SBI ने कहा कि दोनों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 44,434 सेटों को डिकोड करना होगा और कोर्ट द्वारा तय समयसीमा में ये प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है।
ADR ने अवमानना याचिका में क्या कहा?
ADR ने अपनी याचिका में कहा कि SBI के पास चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को तेजी से संकलित करने और प्रकट करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा है। ADR के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के प्रबंधन के लिए बनाया गया SBI का IT सिस्टम पहले से ही मौजूद है। बैंक प्रत्येक बांड को दिए गए अद्वितीय नंबरों के आधार पर आसानी से रिपोर्ट तैयार कर सकता है। ADR ने SBI पर जानबूझकर कोर्ट की अवज्ञा करने का आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
15 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन करती है। इसी के साथ कोर्ट ने SBI को 6 मार्च तक बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया था। आयोग को ये जानकारी 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी है।
क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता है, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती है। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकते हैं। बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है।