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पहलगाम हमले के आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध उजागर, जानिए क्या-क्या सबूत मिले
पहलगाम हमले के आतंकवादियों के पाकिस्तान होने के अहम सबूत मिले हैं

पहलगाम हमले के आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध उजागर, जानिए क्या-क्या सबूत मिले

Aug 04, 2025
03:05 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम में गत 28 जुलाई को 'ऑपरेशन महादेव' में मारे गए पहलगाम आतंकी हमले में शामिल 3 आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के वरिष्ठ सदस्य थे। भारतीय सेना ने इस संबंध में ठोस सबूत हासिल किए हैं। ये आतंकवादी पहलगाम हमले के दिन से ही दाचीगाम-हरवान के जंगलों में छिपे हुए थे, और गोलीबारी करने वाली टीम में कोई भी स्थानीय कश्मीरी शामिल नहीं था। आइए जानते हैं क्या-क्या सबूत मिले हैं।

खुलासा

पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था सुलेमान शाह

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, 'ऑपरेशन महादेव' में मारे गए आतंकियों की पहचान सुलेमान शाह उर्फ फैजल जट्ट, अबू हमजा उर्फ अफगान और यासिर उर्फ जिब्रान के रूप में हुई है। भारतीय एजेंसियों के निष्कर्षों और हासिल किए गए सबूतों के अनुसार, LeT का A++ कमांडर सुलेमान पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड और मुख्य शूटर था। हमजा और यासिर A-ग्रेड कमांडर थे। गोलीबारी के दौरान हमजा दूसरा बंदूकधारी था, जबकि यासिर तीसरा बंदूकधारी था, जिसकी बचाव की जिम्मेदारी थी।

सबूत

आतंकियों के पाकिस्तानी होने के क्या सबूत मिले?

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुकसार, सुलेमान और हमजा की जेब से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी 2 मतदाता पर्चियां मिली हैं। पर्चियों पर दर्ज मतदाता क्रमांक क्रमशः लाहौर (NA-125) और गुजरांवाला (NA-79) की मतदाता सूचियों के हैं। सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से एक मेमोरी कार्ड भी बरामद किया है, जिसमें तीनों के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (NADRA) बायोमेट्रिक रिकॉर्ड थे। उनकी पाकिस्तानी पहचान के लिए ये काफी अहम सबूत हैं।

जानकारी

बायोमेट्रिक रिकॉर्ड में मिली परिवार की जानकारी

बायोमेट्रिक रिकॉर्ड में उनके फिंगरप्रिंट, चेहरे के नमूने और परिवार की जानकारी है, जिससे उनकी पाकिस्तानी नागरिकता और चांगा मंगा (कसूर जिला) और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में रावलकोट के पास कोइयां गांव में उनके पते की पुष्टि होती है।

अन्य

आतंकियों के बैग से बरामद हुई ये महत्वपूर्ण सामग्री

रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों के बैग में कराची स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित कैंडीलैंड और चोकोमैक्स चॉकलेट के रैपर भी मिले, जिनमें अतिरिक्त गोला-बारूद भी था। रैपर पर छपे लॉट नंबर मई 2024 में PoK के मुजफ्फराबाद भेजे गए माल से मेल खाते हैं। साक्ष्यों से पता चलता है कि तीनों आतंकवादी मई 2022 में गुरेज सेक्टर के पास नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे और तब से यहीं रह रहे थे।

तैयारी

21 अप्रैल को बैसरन घाटी के पास आ गए थे आतंकी

रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवारी 21 अप्रैल, 2025 को बैसरन घाटी से 2 किलोमीटर दूर हिल पार्क में एक मौसमी झोपड़ी (ढोक) में चले गए थे। हिरासत में लिए गए दो कश्मीरी सहायकों परवेज और बशीर अहमद जोथर ने उन्हें रात भर आश्रय देने और पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने की बात कबूल की है। 22 अप्रैल की सुबह आतंकवादियों ने बैसरन घाटी पहुंचकर हमला किया, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई। उसके बाद वे दाचीगाम की ओर भाग गए।

सबूत

इस तरह हुई है फोरेंसिक और तकनीकी पुष्टि

फोरेंसिक रिपोर्ट में पहलगाम हमले के दौरान मिले कारतूस के 7.62X39mm के खोल 28 जुलाई को मारे गए आतंकियों पास से बरामद 3 AK-103 राइफलों से 100 प्रतिशत मेल खाते हैं। पहलगाम में मिली एक फटी शर्ट पर लगे खून से प्राप्त माइटोकॉन्ड्रियल प्रोफाइल भी दाचीगाम में बरामद 3 शवों के DNA के समान पाई गई हैं। तीनों द्वारा इस्तेमाल किया गया संचार उपकरण 22 अप्रैल से 25 जुलाई के बीच रोजाना इनमारसैट-4 F1 उपग्रह को तरंग भेज रहा था।

आदेश

पाकिस्तान के अंदर कमान और नियंत्रण लिंक

रिपोर्ट के अनुसार, LeT का दक्षिण-कश्मीर ऑपरेशन प्रमुख (लाहौर के चंगा मंगा का निवासी) साजिद सैफुल्लाह जट्ट ही इसका मुख्य संचालक था। बरामद सैटेलाइट फोन की आवाज के नमूने उसकी पहले की इंटरसेप्ट की गई कॉल्स से मेल खाते हैं। इसके अलावा, LeT के रावलकोट प्रमुख रिजवान अनीस ने 29 जुलाई को मृत हमलावरों के परिवारों से मुलाकात कर शवों के बिना अंतिम संस्कार का आयोजन किया था। इसका वीडियो अब भारतीय डोजियर का हिस्सा है।