'एक देश, एक चुनाव' पर 8 सदस्यीय समिति के सदस्यों का ऐलान, इन्हें मिली जगह
'एक देश, एक चुनाव' पर केंद्र सरकार तेजी से आगे बढ़ती दिख रही है। 1 सितंबर को सरकार ने इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। अब सरकार ने अधिसूचना जारी कर समिति के सदस्यों के नाम की घोषणा भी कर दी है। विधि और न्याय मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, समिति में कुल 8 सदस्य होंगे, जिनमें विपक्ष के नेता, विशेषज्ञ और गृह मंत्री शामिल हैं।
समिति में किन-किन लोगों को मिली जगह?
समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के मुखिया गुलाम नबी आजाद, पूर्व योजना आयोग के सदस्य रह चुके एन के सिंह, संसदीय मामलों के विशेषज्ञ सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री भी समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे और विधि मंत्रालय के सचिव इस समिति के सचिव होंगे।
क्या होगा समिति का काम?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में ये समिति प्रस्तावित कानून के सभी पहलुओं पर विचार करेगी और 'एक देश, एक चुनाव' की संभावना का पता लगाएगी। समिति अलग-अलग लोगों से राय भी लेगी। इसी साल जनवरी में विधि आयोग ने भी इस संबंध में राजनीतिक पार्टियों से कुछ सवालों के जवाब मांगे थे। विधि आयोग ने पूछा था कि क्या एक साथ चुनाव कराना किसी तरह से संविधान के मूलभूत ढांचे के साथ छेड़छाड़ है।
संसद के विशेष सत्र में विधेयक ला सकती है सरकार
केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। खबर है कि इसमें 'एक देश, एक चुनाव' से जुड़ा विधेयक लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर 'एक देश, एक चुनाव' के समर्थन में बयान दे चुके हैं। भोपाल में एक रैली में प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक परिवार में अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग कानून नहीं होते हैं और ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा।
क्या है 'एक देश, एक चुनाव' का सिद्धांत?
अगर 'एक देश, एक चुनाव' पर कानून बना तो सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ ही कराए जाएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरी चुनावी प्रक्रिया को 2 चरणों में अंजाम दिया जा सकता है। वर्तमान में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक निश्चित कार्यकाल (सामान्यत: 5 साल) के बाद होते हैं। जैसे इस साल के अंत में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे।