केरल का नाम बदलकर 'केरलम' किया जाएगा? विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर किया केंद्र से अनुरोध
केरल का नाम जल्द बदला जा सकता है। बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने विधानसभा में केरल का नाम बदलने का प्रस्ताव पेश किया, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। केरल की वामपंथी सरकार द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची और सभी आधिकारिक रिकॉर्ड में राज्य का नाम बदलकर 'केरलम' करने का आग्रह किया गया है। किसी राज्य का नाम केंद्र सरकार ही बदल सकती है।
मुख्यमंत्री ने नाम बदलने का क्या कारण बताया?
विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्य का गठन किया गया था और मलयालम भाषा में राज्य का नाम 'केरलम' है, इसलिए इसका नाम बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही मलयालम भाषी समुदायों के लिए एक संयुक्त केरल बनाने की आवश्यकता दृढ़ता से उभरी, लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा गया।"
केंद्र सरकार से नाम बदलने का अनुरोध
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, "यह विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत नाम को केरलम के रूप में संशोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करती है। यह सदन यह भी अनुरोध करता है कि हमारी भूमि का नाम संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में 'केरलम' रखा जाए।" इस प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) ने बिना किसी संशोधन के सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया।
केंद्र कैसे बदल सकता है राज्य का नाम?
संवैधानिक मामलों के जानकार कहते हैं कि संविधान का अनुच्छेद 3 केंद्र सरकार को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन का अधिकार देता है। किसी राज्य का नाम संसद में बहुमत के आधार पर बदला जा सकता है और अगर संसद से केरल सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो केरल का नाम 'केरलम' हो सकता है। केंद्र को राष्ट्रपति की अनुशंसा के लिए एक विधेयक पेश करना होगा।
केरल राज्य का कब हुआ था गठन?
देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित केरल राज्य का इतिहास बहुत पुराना है। 1 जुलाई, 1949 में त्रावनकोर और कोचिन रियासतों को मिलाकर त्रावनकोर-कोचीन राज्य बनाया गया था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत त्रावनकोर-कोचीन राज्य और मालाबार को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को केरल राज्य अस्तित्व में आया था। तब भी राज्य का नाम केरलम रखने की ही मांग उठी थी। केरल में 1 नवंबर को केरलप्पिरवी दिवस भी मनाया जाता है। यहां भाषाई आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है।