मणिपुर में मैतेई उग्रवादी संगठनों पर शिकंजा कसने की तैयारी, गृह मंत्रालय ने बनाया न्यायाधिकरण
सरकार मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। सरकार ने इसके लिए एक न्यायाधिकरण का गठन किया है, जिसमें गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज संजय कुमार मेधी शामिल हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने 13 नवंबर को कम से कम 9 मैतेई चरमपंथी संगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। अब न्यायाधिकरण इन संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारणों का पता लगाएगा।
UAPA के तहत गैरकानूनी घोषित किए गए 9 संगठन
गृह मंत्रालय ने 13 नवंबर को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत 9 मैतेई संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया था। इनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), इसकी राजनीतिक शाखा रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (MPA) शामिल हैं। इनके अलावा पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK) और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KCP) के नाम भी सूची में हैं।
संगठनों पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप
सरकार का मानना है कि ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस और नागरिकों पर हमलों में शामिल हैं और भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों का हिस्सा रहे हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि इन संगठनों का घोषित उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना और मणिपुर के लोगों को इस तरह के अलगाव के लिए उकसाना है।
क्या होगा न्यायाधिकरण का काम?
सरकार ने UAPA की धारा 5(1) के तहत इस न्यायाधिकरण का गठन किया है। इसका काम मैतेई संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने के पीछे पर्याप्त कारणों का पता लगाना है। सरकार ने जिन संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया है, उनमें से 5 संगठनों पर 2018 में भी प्रतिबंध लगाया गया था। अब इसे 5 साल के लिए बढ़ाया गया है। बता दें कि ये प्रतिबंध 13 नवंबर से ही प्रभावी हो गया है।
मणिपुर में 3 मई से जारी है हिंसा
मणिपुर में मई, 2023 में जातीय संघर्ष भड़कने से करीब 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। हिंसा का संबंध मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा है, जिसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहा है। 3 मई को हिंसा की शुरुआत के बाद से मणिपुर में मैतेई और आदिवासी समुदाय में संघर्ष जारी है और गृह युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है।