मणिपुर हिंसा: सरकार पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट के लिए एडिटर्स गिल्ड पर FIR, जानें मामला
मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) की एक तथ्य-खोज टीम के 3 सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इम्फाल के सामाजिक कार्यकर्ता एन शरत सिंह ने 7 से 10 अगस्त के बीच मणिपुर आए सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। इसमें EGI के अध्यक्ष को भी आरोपी बनाया गया है। FIR में आरोप लगाया गया है कि EGI द्वारा मणिपुर हिंसा को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट झूठी और मनगढ़ंत है।
EGI ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था?
EGI ने शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा था कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य में हिंसा के दौरान मणिपुर का नेतृत्व पक्षपातपूर्ण था। EGI ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, "मणिपुर सरकार को जातीय संघर्ष में किसी एक संगठन का पक्ष लेने से बचना चाहिए था, लेकिन वह एक ऐसी लोकतांत्रिक सरकार के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही, जिसे पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए था।"
रिपोर्ट में और क्या कहा गया था?
EGI ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के कारण करीब 4,000 शरणार्थियों के मणिपुर में प्रवेश करने के बाद सरकार ने सभी कुकी जनजातियों को अवैध अप्रवासी करार कर दिया था। EGI ने कहा था कि राज्य सरकार के कई पक्षपातपूर्ण बयानों और नीतिगत फैसलों के कारण कुकी समुदाय के खिलाफ बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के लोगों के गुस्से को बढ़ावा मिला।
EGI ने महत्वपूर्ण तथ्यों का नहीं किया उल्लेख- FIR
शिकायतकर्ता एन शरत सिंह ने अपनी FIR आरोप लगाया कि EGI की रिपोर्ट में मणिपुर में बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख नहीं किया गया, जिससे मूल रूप से मणिपुर में रह रहे स्वदेशी लोगों को खतरा है। उन्होंने कहा कि म्यांमार से लगातार अवैध तरीके से मणिपुर में प्रवेश के कारण क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है और इस बात को रिपोर्ट में नजरअंदाज किया गया है।
EGI को मिले चंदे की भी हो सकती है जांच
NDTV के मुताबिक, मणिपुर सरकार EGI की टीम के चंदे के स्रोतों की जांच करने पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि दानदाताओं के निहित स्वार्थ की संभावना के कारण इस तरह की संवेदनशील रिपोर्ट के लिए क्राउडफंडिंग एक गलत कदम हो सकता है। बता दें कि EGI की टीम ने मणिपुर से संबंधित मीडिया रिपोर्टों की जांच के लिए राज्य का दौरा करने के लिए लोगों से क्राउडफंडिंग के जरिए चंदा मांगा था।
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में अभी तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हुए हैं। यहां मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है, जिनमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, वहीं नागा और कुकी सहित 40 प्रतिशत आदिवासी पहाड़ी जिलों में बसे हैं।