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समलैंगिक जोड़ों की सामाजिक जरूरतों को देखने के लिए कमेटी बनाने पर राजी हुई केंद्र सरकार
समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक फायदे देने के मामले पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार समिति बनाने को तैयार हुई है

समलैंगिक जोड़ों की सामाजिक जरूरतों को देखने के लिए कमेटी बनाने पर राजी हुई केंद्र सरकार

लेखन आबिद खान
May 03, 2023
12:03 pm

क्या है खबर?

समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में आज 7वें दिन सुनवाई चल रही है। इस दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक फायदे देने पर विचार करने के लिए समिति बनाने को तैयार है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो यह देखेगी कि समलैंगिक जोड़ों की सामाजिक जरूरतें कैसे पूरी की जा सकती हैं।

विचार

याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी सरकार

मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की बीमा, गोद लेने, कर लाभ, आदि मांगों को पूरा करने के लिए समिति का गठन किया जाएगा, इसके लिए कई मंत्रालयों की बीच समन्वय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी, जो याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी। बता दें कि मामले की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ कर रही है, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं।

पीठ

समिति बनाना केंद्र का बड़ा कदम- पीठ

केंद्र सरकार द्वारा समिति बनाने की घोषणा करने के बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी बहुत कुछ किया जाना है और कानून में बदलाव की जरूरत है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निवास का अधिकार, बैंक खाता, बीमा जैसे मामलों के लिए याचिकाकर्ताओं के लिए ये मामले में अगला कदम उठाने जैसा है। वहीं जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस हिमा कोहली ने भी इसका समर्थन किया।

सवाल

सामाजिक जरूरतों पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था सवाल

समलैंगिक विवाह वाले मामले पर 27 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दिये बिना कैसे समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खाते खोलने या बीमा पॉलिसियों में भागीदार नामित करने जैसी सामाजिक आवश्यकताओं की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने इस मामले पर सरकार से 3 मई तक जवाब मांगा था, जिस पर आज सरकार ने समिति बनाने की बात कही है।

मांग

क्या मांग कर रहे हैं समलैंगिक जोड़े?

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक जोड़े समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, वर्तमान में देश में केवल महिला और पुरुष के बीच हुए विवाह को ही कानूनी मान्यता प्राप्त है। केंद्र सरकार सामाजिक परंपराओं का हवाला देते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का विरोध कर रही है। इससे पहले सरकार कह चुकी है कि मामला न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार का नहीं है, बल्कि संसद इस पर कानून बनाएगी।