Page Loader
समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाला एशिया का पहला देश बना ताइवान

समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाला एशिया का पहला देश बना ताइवान

May 17, 2019
03:59 pm

क्या है खबर?

ताइवान ने शुक्रवार को समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दे दी है। इसके साथ ही यह एशिया का पहला देश बन गया, जहां समलैंगिक शादी को मंजूरी मिली है। ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने इस कानून का समर्थन किया, जिससे यह 27 के बदले 66 मतों से पारित हो गया। इस फैसले के बाद संसद के बाहर जमे हजारों लोगों ने नारों से अपनी खुशी का इजहार किया। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

जानकारी

राष्ट्रपति के साइन होने के बाद लागू होगा कानून

इस कानून में समलैंगिक जोडों के लिए वही प्राधवान है जो हेटरोसेक्सुअल जोड़ों के लिए निर्धारित किए गए हैं। राष्ट्रपति साई-ईंग-वेन के साइन होने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। साई ने ट्विटर पर लिखा कि आज हमारे पास इतिहास बनाने का मौका है।

बहस

संसद में जारी है मुद्दे पर बहस

साई ने 2016 के चुनावों में वैवाहिक समानता का वादा किया था। उन्होंने लिखा कि आज हमने दिखा दिया कि प्यार की जीत होती है। अभी तक यह साफ नहीं है कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने और दूसरे देशों के नागरिकों से शादी करने की इजाजत दी जाएगी या नहीं। अभी संसद में इस कानून पर बहस चल रही है। हालांकि, इस फैसले से साई के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की राह कठिन हो सकती है।

जानकारी

अदालत ने कानून बनाने के लिए दिया था 24 मई तक का समय

पिछले एक साल से ताइवान में इस मामलो को लेकर बहस चल रही थी। यहां की संंवैधानिक अदालत ने समलैंगिक शादी को मंजूरी दे दी थी और संसद को इसके लिए कानून बनाने के लिए 24 मई तक का समय दिया था।

जनमत संग्रह

लोगों ने किया था समलैंगिक शादी का विरोध

पिछले साल के अंत में ताइवान में समलैंगिक शादी को लेकर जनमत संग्रह करवाये गए थे। इनमें अधिकतर लोगों ने समलैंगिक शादी का विरोध किया था। विपक्षी पार्टी के एक सांसद जॉन वू ने कानून पर चर्चा के दौरान पूछा जनमत संग्रह के नतीजों को कैसे ठुकराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस पर और चर्चा की जरूरत है। इस कानून का विरोध करने वाली पार्टियों का कहना है कि यह कानून लोगों की भावनाओं का अनादर है।

जानकारी

मुश्किल हो सकती है साई की राह

बीते साल हुए चुनावों में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की हार हुई थी। इस हार के पीछे साई के वैवाहिक समानता जैसे सुधारवादी कदमों को वजह माना जाता है। ऐसे में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में साई के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

भारत

भारत में क्या है समलैंगिकों को लेकर नियम

भारत में समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता मिली है, लेकिन समलैंगिक शादी अभी भी गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर, 2018 को ऐतिहासिक फैसला में समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को रद्द करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। पांच सदस्यीय बेंच ने एकमत से अपने फैसले में कहा था कि समलैंगिक समुदाय को भी बराबर अधिकार है। अंतरंगता और निजता निजी पसंद है। इसमें राज्य का दखल नहीं होना चाहिए।