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ट्यूबलेस और ट्यूब टायर्स में फर्क और फायदे क्या हैं? 
टायर का प्रकार समझना जरूरी होता है (तस्वीर: पिक्साबे)

ट्यूबलेस और ट्यूब टायर्स में फर्क और फायदे क्या हैं? 

Jul 18, 2025
08:37 am

क्या है खबर?

बाइक या कार लेते समय टायर का प्रकार समझना जरूरी होता है। आजकल ज्यादातर गाड़‍ियों में ट्यूबलेस टायर आते हैं, लेकिन पुराने समय में ट्यूब वाले टायर चलन में थे। दोनों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। कई लोग समझ नहीं पाते कि इनके बीच क्या मुख्य अंतर है और किसे चुनना फायदेमंद रहेगा। सही टायर का चुनाव आपकी सुरक्षा और जेब दोनों से जुड़ा होता है। आइए जानते हैं इनके बीच फर्क और फायदे क्या होते हैं।

#1

ट्यूब और ट्यूबलेस टायर में क्या है फर्क?

ट्यूब वाले टायर में हवा टायर के अंदर मौजूद एक अलग रबर ट्यूब में भरी जाती है। वहीं, ट्यूबलेस टायर में हवा सीधे टायर और रिम के बीच बंद होती है, क्योंकि इसमें ट्यूब नहीं होती। ट्यूब टायर में पंक्चर होने पर हवा तेजी से निकलती है, जबकि ट्यूबलेस में हवा धीरे-धीरे निकलती है। ट्यूबलेस टायर इसी वजह से ट्यूब टायर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं, जिनका फिटिंग सिस्टम भी थोड़ा अलग होता है।

#2

ट्यूबलेस टायर के मुख्य फायदे?

ट्यूबलेस टायर में पंक्चर होने पर गाड़ी तुरंत नहीं रुकती, जिससे यात्रा के दौरान ज्यादा समस्या नहीं होती है। ट्यूब टायर के मुकाबले इन्हें रिपेयर करना भी आसान होता है, क्योंकि ये बिना टायर खोले ठीक किए जा सकते हैं। इनमें माइलेज थोड़ा बेहतर मिलता है और हीटिंग कम होती है। इसके साथ ही, ट्यूबलेस टायर ज्यादा हल्के होते हैं जिससे रफ्तार और बैलेंसिंग में भी मदद मिलती है। यही वजह है कि आजकल कंपनियां इन्हें प्राथमिकता देती हैं।

#3

ट्यूब टायर अब भी कहां काम आते हैं?

ट्यूब वाले टायर अब ज्यादातर भारी वाहनों या ग्रामीण इलाकों में देखे जाते हैं, जहां सड़कें खराब होती हैं। ये सस्ते होते हैं और सामान्य मिस्त्री भी आसानी से ठीक कर सकता है। खराब रास्तों पर इनका ग्रिप अच्छा होता है और कुछ जगहों पर ये ज्यादा टिकाऊ साबित होते हैं। हालांकि, ज्यादा पंक्चर की संभावना और तेज हवा निकलने का खतरा इनमें बना रहता है। इसलिए आज की जरूरतों के हिसाब से ट्यूबलेस बेहतर माने जाते हैं।