समलैंगिक जोड़ों को मिले बच्चा गोद लेने की अनुमति, सुप्रीम कोर्ट में DCPCR ने लगाई अर्जी
दिल्ली सरकार के बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह मामले में सुनवाई के साथ बच्चा गोद लेने के मामले पर सुनवाई की अर्जी लगाई है। DCPCR का कहना है कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की अनुमति मिलनी चाहिए। आयोग की ओर से दाखिल याचिका में इसके लिए कई तर्क दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक पीठ 18 अप्रैल को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले पर सुनवाई करेगी।
याचिका में क्या कहा गया है?
DCPCR ने याचिका में कहा है, "दुनिया के 50 से अधिक देशों में समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की इजाजत है। इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि इससे बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास पर असर पड़ता है।" याचिका में तर्क दिया गया है कि सामान्य जोड़ों की तरह ही समलैंगिक जोड़े भी अच्छे या बुरे अभिभावक बन सकते हैं। याचिका में कानूनी समस्याओं पर भी दलील रखी गई। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से मौजूदा कानूनों पर असर नहीं पड़ेगा।