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    #NewsBytesExplainer: अमेरिका में गर्भपात पर बहस, जानें विवाद और भारत में गर्भपात पर क्या है कानून
    अमेरिका में गर्भपात विरोधी कानून को लेकर प्रदर्शन करते लोग (तस्वीर- वीकिमीडिया कॉमंस)

    #NewsBytesExplainer: अमेरिका में गर्भपात पर बहस, जानें विवाद और भारत में गर्भपात पर क्या है कानून

    लेखन आबिद खान
    Apr 08, 2023
    05:29 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिका के टेक्सास की एक अदालत ने गर्भपात के लिए इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवा मिफेप्रिस्टोन की मंजूरी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने ये रोक खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) की मंजूरी पर लगाई है।

    वहीं, वाशिंगटन की एक अदालत ने आदेश दिया है कि इस दवा की पहुंच अमेरिका के 17 राज्यों तक होने दी जाए।

    इसके बाद अमेरिका में गर्भपात कानूनों को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ गई है।

    समझते हैं पूरा मामला।

    शुरुआत

    मामले की शुरुआत कैसे हुई?

    शुक्रवार को अमेरिका की दो अदालतों ने गर्भपात की दवा को लेकर विरोधाभासी फैसले सुनाए।

    टेक्सास की अदालत ने दवा के इस्तेमाल पर मिली FDA की मंजूरी पर रोक लगा दी।

    वहीं, वाशिंगटन की अदालत ने कहा कि FDA इस दवा की पहुंच 17 राज्यों तक सुनिश्चित करें।

    बता दें कि टेक्सास में जज की नियुक्ति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान हुई थी। वहीं, वाशिंगटन अदालत के जज की नियुक्ति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुई थी।

    विवाद

    गर्भपात की गोलियां को लेकर क्या है विवाद?

    गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं और नेताओं का कहना है कि ये गोलियां असुरक्षित है और इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

    उनका तर्क है कि इन गोलियों से ब्लीडिंग होती है और संक्रमण का खतरा पैदा होता है, इसलिए जो लोग इन्हें लेते हैं उनके लिए यह जोखिम पैदा करती है।

    गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं की मांग है कि इन गोलियों का इस्तेमाल केवल लाइसेंस प्राप्त मेडिकल प्रेक्टिशनर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।

    राजनीति

    गर्भपात पर कानून को लेकर क्या है राजनीति?

    अमेरिका में गर्भपात पर बहस और कानून की राजनीतिक पहलू भी है। रिपब्लिकन पार्टी गर्भपात के खिलाफ है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता इसे अजन्मे बच्चे की हत्या मानते हैं और उनका कहना है गर्भवती महिलाओं को गर्भपात का अधिकार नहीं होना चाहिए।

    वहीं, अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि गर्भपात का अधिकार महिलाओं के लिए आवश्यक है। महिलाओं को ये तय करने का अधिकार होना चाहिए कि वो बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं।

    सरकार

    टेक्सास अदालत के फैसले पर बाइडन प्रशासन का क्या कहना है?

    बाइडन प्रशासन ने टेक्सास अदालत के फैसले को महिलाओं से आजादी छीनने और उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाला कदम बताया।

    अपने बयान में राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, "अदालत ने इस मामले में दवाओं की मंजूरी देने वाली संस्था FDA के फैसले को दरकिनार किया है। अगर यह फैसला कायम रहता है, तो FDA द्वारा स्वीकृत कोई भी दवा ऐसी नहीं होगी, जो ऐसे राजनीतिक और वैचारिक हमलों से सुरक्षित हो।"

    दवा

    क्या है गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा?

    गोली से गर्भपात को मेडिकल अबॉर्शन भी कहा जाता है। इसके लिए दो अलग-अलग दवा मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल इस्तेमाल की जाती है।

    पहली दवा गर्भ में भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन को ब्लॉक कर देती है। इससे गर्भ का विकास रुक जाता है और गर्भपात हो जाता है।

    दूसरी दवा गर्भ से भ्रूण को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल की जाती है। आमतौर पर इन दवाओं को गर्भ धारण के 7 हफ्तों तक लिया जा सकता है।

    फैसला

    गर्भपात को गैरकानूनी घोषित कर चुका है अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट

    जून, 2022 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में गर्भपात को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में फैसले को पलट दिया था।

    इसके तहत गर्भपात को कानूनी मंजूरी मिली थी और संविधान ने गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फैसला लेने का हक दिया था। इस फैसले के बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हुए थे।

    भारत

    भारत में गर्भपात को लेकर क्या है कानून?

    भारत में गर्भपात के लिए 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट बनाया गया। इसके तहत महिला को 20 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत थी।

    2021 में हुए बदलाव के बाद ये समयसीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई।

    2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत दे दी। हालांकि, विशेष मामलों में डॉक्टर की सलाह और महिला या गर्भ में पल रहे बच्चे की परिस्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है।

    बैन

    कितने देशों में बैन है गर्भपात?

    सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव राइट्स के मुताबिक, दुनियाभर के 15 देशों में गर्भपात कराना गैरकानूनी है। इनमें सेनेगल, मॉरिटेनिया, सूरीनाम, मिस्र, ईराक, फिलीपींस, थाइलैंड जैसे देश शामिल हैं।

    वहीं, करीब 50 देशों में सख्त शर्तों के साथ गर्भपात की अनुमति है। लीबिया, इंडोनेशिया, ईरान, वेनेजुएला, नाइजीरिया जैसे देश महिला के स्वास्थ्य को खतरा होने पर गर्भपात की अनुमति देते हैं।

    कई देशों में दुष्कर्म पीड़िता, विधवा या तलाकशुदा और भ्रूण के विकृत होने की स्थिति में गर्भपात की अनुमति है।

    जानकारी

    अमेरिका में गोली से गर्भपात का आंकड़ा

    गटमैशर इंस्टीट्युट के मुताबिक, साल 2020 में अमेरिका में हुए 9,30,160 गर्भपात में से 53 प्रतिशत गोली के जरिए किए गए थे। 2008 में ये आंकड़ा 17 प्रतिशत और 2017 में 39 प्रतिशत से ज्यादा था।

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