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मुंबई में रखी गई पहली समलैंगिक शादी की पार्टी, खुशियों में शामिल हुए सब

मुंबई में रखी गई पहली समलैंगिक शादी की पार्टी, खुशियों में शामिल हुए सब

Feb 05, 2019
02:15 pm

क्या है खबर?

समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लगभग पांच महीने बाद मुंबई में पहली समलैंगिक शादी की पार्टी आयोजित की गई। यह पार्टी समलैंगिकों के लिए काम करने वाली संस्था रेनबो वॉइस मुंबई के संस्थापक विनोद फिलिप और उनके पति फ्रांस निवासी विन्सेट की शादी की थी। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ने मुंबई के होटल में एक फरवरी को अपनी शादी के लिए रिसेप्शन पार्टी आयोजित की थी।

पार्टी

स्टाफ और बेकर भी हुए खुशियों में शामिल

विनोद और उनके पति ने किसी गड़बड़ की आशंका के चलते अंतिम समय तक होटल को यह जानकारी नहीं दी कि यह एक समलैंगिक शादी की पार्टी है। बाद में जब होटल के स्टाफ को इसका पता चला तो वे न सिर्फ इस खुशी में शामिल हुए बल्कि उन्होंने इस पार्टी को शानदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि केक तैयार करने वाले बेकर भी इस पार्टी का हिस्सा बने और शादीशुदा जोड़े को शुभकामनाएं दी।

शादी

फ्रांस में हुई थी शादी

इन दोनों ने पिछले दिसंबर में फ्रांस में शादी की थी, लेकिन मुंबई से लगाव विनोद को यहां खींच लाया। चेन्नई के रहने वाले विनोद ने 2014 में मुंबई आकर समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करना शुरू किया था। 2014 में ही विनोद ने मुंबई में अपने समलैंगिक होने का खुलासा किया था। इसलिए उन्होंंने अपनी शादी की पार्टी मुंबई में रखने का फैसला किया।

मुलाकात

डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे विनोद और विन्सेट

विनोद की विन्सेट से मुलाकात साल 2016 में एक डेटिंग ऐप के जरिए पेरिस में हुई थी। धीरे-धीरे दोनों डेटिंग करने लगे। फिर दोनों ने अपने-अपने कामों से छुट्टी लेकर साथ रहने का फैसला किया। इसके बाद विन्सेट, विनोद के परिवार से मिलने के लिए भारत आए, तब उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया था। हालांकि, विनोद के परिजनों को पहले इस रिश्ते से आपत्ति थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।

फैसला

समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर, 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने एकमत से समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि समलैंगिक समुदाय को भी बराबर अधिकार है। फैसले में कहा गया कि अंतरंगता और निजता निजी पसंद है। इसमें राज्य का दखल नहीं होना चाहिए।