
अपहरण-हत्या के आरोपी को 16 साल बाद भारत लाया गया, 'ऑपरेशन त्रिशूल' के तहत 33वीं गिरफ्तारी
क्या है खबर?
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सऊदी अरब से एक अपहरण और हत्या के आरोपी मोहम्मद हनीफा मक्काता को 16 साल बाद भारत लाई है।
मक्काता पर 2006 में एक व्यक्ति का अपहरण और हत्या करने का आरोप है। इस मामले में केरल पुलिस मक्काता की तलाश कर रही थी। इंटरपोल ने मक्काता के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।
'ऑपरेशन त्रिशूल' के तहत विदेश से भारत लाया गया ये 33वां आरोपी है।
जानकारी
कौन है मोहम्मद हनीफा मक्काता?
मक्काता पर साल 2006 में करीम नामक एक व्यक्ति का अपहरण और हत्या करने का आरोप है। इस मामले में उसके खिलाफ केरल के कोझिकोड के कुन्नामंगलम पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया था। तभी से पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी।
गिरफ्तारी
कैसे पकड़ में आया मक्काता?
हनीफा मक्काता के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद सऊदी अरब की इंटरपोल इकाई ने CBI को उसके ठिकाने की जानकारी दी थी। एजेंसी ने मक्काता को वापस भारत ले जाने का भी अनुरोध किया था।
CBI ने ये जानकारी केरल पुलिस को दी, जिसके बाद केरल पुलिस की एक टीम ने सऊदी अरब पहुंचकर मक्काता को गिरफ्तार किया। 12 मार्च को मक्काता को भारत लाया गया है।
हरचंद सिंह
हाल ही में पर्ल्स ग्रुप के डायरेक्टर को भारत लाई थी CBI
'ऑपरेशन त्रिशूल' के तहत 7 मार्च को CBI ने पर्ल्स ग्रुप के डायरेक्टर हरचंद सिंह गिल को गिरफ्तार किया था।
गिल के खिलाफ निवेश के बदले जमीन की पेशकश कर निवेशकों से 60,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
2014 में गिल के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। गिल पर चिट फंड के जरिए भी लोगों को ठगने का आरोप है। उन्हें फिजी से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था।
त्रिशूल
क्या है 'ऑपरेशन त्रिशूल'?
'ऑपरेशन त्रिशूल' के तहत भारतीय जांच एजेंसियां इंटरपोल की मदद से भगोड़ों को पकड़ने और उन्हें वापस देश लाने का काम करती है।
इंटरपोल के अनुसार, भारतीय एजेंसियां ऑपरेशन त्रिशूल के माध्यम से वैश्विक स्तर पर 276 भगोड़ों की तलाश कर रही हैं। इनमें नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, नितिन संदेसरा और जतिन मेहता जैसे हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधी भी शामिल हैं।
इस ऑपरेशन के तहत 2022 में 27 और 2023 में 6 भगोड़ों को वापस भारत लाया जा चुका है।
रणनीति
तीन-आयामी रणनीति का उपयोग करती है CBI
इस ऑपरेशन को त्रिशूल नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि CBI भगोड़ों को पकड़ने के लिए तीन आयामी रणनीति का इस्तेमाल करती है।
पहली रणनीति के तहत इंटरपोल के माध्यम से भगोड़ों का पता लगाना और देश से प्रत्यर्पण की मांग करना है।
दूसरी रणनीति के तहत वित्तीय अपराधों से जुड़े लोगों को पकड़ने और राशि का प्राप्त करने के लिए इंटरपोल और बाकी एजेंसियों के अलग-अलग स्त्रोतों का इस्तेमाल कर जानकारी जुटाई जाती है।
जानकारी
तीसरी रणनीति में नेटवर्क को ध्वस्त करती है CBI
तीसरी रणनीति के तहत शैल कंपनियों और वित्तीय धोखाधड़ी के लेनदेन से जुड़ी खुफिया जानकारी निकालकर उनका समर्थन कर रहे तंत्र को खत्म करना है। इसके बाद संबंधित कानूनी एजेंसियों को इंटरपोल के माध्यम से जानकारी देकर उपयुक्त कार्रवाई के लिए आग्रह करती है।