प्रधानमंत्री पद के 'मजबूत उम्मीदवार' हो सकते हैं नीतीश कुमार- तेजस्वी यादव
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि 2024 के आम चुनाव में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के 'मजबूत उम्मीदवार' हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के पास 37 सालों का राजनीति और सरकार चलाने का अनुभव है।
बता दें कि इसी महीने नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर बिहार में राजद और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ सरकार बनाई है।
बयान
तेजस्वी ने क्या बयान दिया?
समाचार एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में तेजस्वी ने कहा कि वो पूरे विपक्ष की ओर से दावा नहीं कर रहे, लेकिन अगर विचार किया जाता है तो नीतीश कुमार मजबूत उम्मीदवार हैं। उनके पास संसद और प्रशासन का 37 सालों का अनुभव है और जमीन पर उनकी छवि अच्छी है।
राजद नेता ने यह भी कहा कि महागठबंधन का नीतीश के साथ आना दिखाता है कि अधिकतर विपक्षी पार्टियां देश के सामने खड़ी बड़ी चुनौती को पहचान रही है।
जानकारी
खुद को रेस से बाहर बता चुके हैं नीतीश
राजद के साथ हाथ मिलाने के बाद कई जानकार कयास लगाने लगे थे कि नीतीश 2024 में विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं।
हालांकि, इन कयासों को विराम देते हुए नीतीश ने कहा था कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं सोचा है। वो यह देखेंगे कि पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए। अगर ऐसा होता है तो यह अच्छा होगा।
हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देते हुए कहा था कि उन्हें 2024 की चिंता करनी चाहिए।
जानकारी
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए क्यों आ रहा नीतीश का नाम?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा बहुत पुरानी है और देश के सबसे शक्तिशाली पद पर बैठना उनके सपने जैसा रहा है।
राजनीतिक गलियारों में उन्हें 'प्रधानमंत्री मैटेरियल' भी कहा जाता है और इसके लिए उनके तमाम गुण गिनाए जाते हैं।
नीतीश की छवि एक साफ और भ्रष्टाचार विरोधी नेता की है और उन पर अभी तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। अच्छा प्रशासक होने के कारण उन्हें 'सुशासन बाबू' भी कहा जाता है।
जानकारी
क्यों लगाई जा रही नीतीश के उम्मीदवार बनने की अटकलें?
नीतीश में वे सभी गुण हैं जो 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी और भाजपा को मात देने के लिए विपक्ष को चाहिए।
ममता बनर्जी, शरद पवार और राहुल गांधी जैसे अन्य संभावित उम्मीदवारों के बीच जो चीजें नीतीश को सबसे प्रबल दावेदार बनाती हैं, वो ये कि वे हिंदी बहुत अच्छी बोलते हैं और हिंदी भाषी राज्यों में उन्हें सब जानते हैं।
उत्तर भारत में भाजपा की काट के लिए ये चीजें न्यूनतम हैं जो एक नेता में होनी चाहिए।
राजनीतिक समीकरण
नीतीश का मोदी से रहा है छत्तीस का आंकड़ा
आप शायद इस बात से हैरान हों, लेकिन नीतीश का मोदी से छत्तीस का आंकड़ा रहा है और ये बात उनके विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने में मदद कर सकती है।
2002 गुजरात दंगों के बाद नीतीश ने मोदी पर "सांप्रदायिक राजनीति" करने का आरोप लगाया था और सालों तक उन्हें बिहार में कोई रैली नहीं करने दी और न उनके साथ मंच साझा किया।
2013 में मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने पर उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।