बिहार: कक्षा 7 की परीक्षा के प्रश्न पत्र में कश्मीर को बताया अलग देश, विवाद बढ़ा
बिहार में कक्षा सातवीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्न पत्र में कश्मीर को अलग देश बताने पर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, परीक्षा के एक प्रश्न में देशों में रहने वाले लोगों के संबंध में सवाल पूछा गया था। इसमें कश्मीर और भारत को अलग-अलग देश बताया गया था। कुछ ही देर में यह पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और भाजपा ने बिहार सरकार पर हमला कर दिया। हालांकि, स्कूल प्रधानाचार्य ने इसे मानवीय भूल बताया है।
क्या पूछा गया था प्रश्न?
शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा 1-8 तक की अर्द्धवार्षिक परीक्षा 12 से 18 अक्टूबर तक हुई थी। किशनगंज में कक्षा सातवीं की अंग्रेजी की परीक्षा में पहला प्रश्न पूछा गया था कि इन देशों के लोगों को क्या कहते हैं? इसमें चीन का उदाहरण देते हुए पूछा गया था कि जैसे चीन के लोगों की चाइनीज कहते हैं, वैसे ही नेपाल, इंग्लैंड, कश्मीर और भारत के लोगों को क्या कहते हैं? इसमें कश्मीर को अलग देश बताया गया था।
प्रश्न पत्र को लेकर कैसे भड़का विवाद?
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल ने फेसबुक पर पेपर अपलोड करते हुए मुद्दे को उठाया है। उन्होंने लिखा, 'फेसबुक ने मेरी एक पोस्ट को सरकार के नियमों के विरुद्ध माना और मैंने मर्यादित आचरण करते हुए पोस्ट को हटा दिया, लेकिन बिहार सरकार अभी भी चुप है। कश्मीर में रहने वालों को क्या कहा जाता है? यह प्रश्न बताता है कि बिहार सरकार के अधिकारी नेपाल, इंग्लैंड, चीन और भारत की तरह कश्मीर को अलग देश मानते हैं।'
जायसवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर साधा निशाना
जायसवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लिखा, 'नीतीश कुमार की मानसिकता आज शरजील इमाम वाली बन गई है। प्रधानमंत्री बनने के चाहत में इतने बेचैन हैं कि सातवीं कक्षा के बच्चों को देश विरोधी प्रश्नों के द्वारा बरगलाने का काम कर रहे हैं।' उन्होंने लिखा, 'शीघ्र इस तरह के प्रश्न बिहार सरकार 2047 के PFI एजेंडे पर भी पूछेगी और फिर इनके अधिकारी कहेंगे कि इन बातों को तूल देने की आवश्यकता नहीं है।'
प्रधानाचार्य ने बताया मानवीय भूल
इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य एसके दास ने कहा, "पेपर बिहार शिक्षा विभाग से आया है। सवाल इस तरह पूछा जाना चाहिए था कि कश्मीर के लोगों को क्या कहते हैं? लेकिन गलती से यह इस तरह पूछ लिया गया कि कश्मीर देश के लोगों को क्या कहते हैं? यह मानवीय भूल है।" हालांकि, एक अन्य प्रधानाचार्या आशा लता ने कहा कि ऐसा होना नहीं चाहिए। शिक्षक से ऐसी भूल बार-बार होना सही नहीं है।
DEO ने मामले में प्रतिक्रिया देने से इनकार किया
इस मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुभाष कुमार गुप्ता से बात की तो उन्होंने इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। इससे स्पष्ट है कि उनके पास परीक्षा में हुई इस गंभीर चूक का कोई जवाब नहीं था।
साल 2017 में भी पूछा गया था यह सवाल
बिहार में परीक्षा में कश्मीर को अगल देश बताने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले साल 2017 में इस तरह का मामला सामने आया था और उस दौरान भी यही प्रश्न किया गया था। उस दौरान भी विवाद बढ़ने पर इसे मानवीय भूल बताया गया था। इधर, भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष अंकित सिंह ने कहा कि पूरे मामले से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अवगत कराया जाएगा। पेपर बनाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।