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    पश्चिम बंगाल: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया पटाखों पर बैन का कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला
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    पश्चिम बंगाल: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया पटाखों पर बैन का कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला

    लेखन भारत शर्मा
    November 01, 2021 | 08:46 pm 1 मिनट में पढ़ें
    पश्चिम बंगाल: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया पटाखों पर बैन का कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला
    पश्चिम बंगाल में चलाए जा सकेंगे ग्रीन पटाखे।

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में लोगों को ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पटाखों को लेकर पूरे देश में अलग-अलग नीति नहीं हो सकती है। पश्चिम बंगाल सरकार को ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।

    कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाया था सभी तरह के पटाखों पर प्रतिबंध

    29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को हानिकारक पटाखों पर बैन लगाने तथा ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति देने का आदेश दिया था। ​इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह कहते हुए सभी तरह के पटाखों पर बैन लगा दिया था कि राज्य में केवल ग्रीन पटाखे ही बेचने और चलाने के लिए कोई व्यवस्थित तंत्र नहीं है। ऐसे में प्रदूषण को देखते हुए राज्य में सभी तरह से पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई जाती है।

    हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे पटाखा व्यापारी

    कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद बुराबाजार फायरवर्क्स डीलर्स एसोसिएशन के गौतम रॉय और सिलीगुड़ी फायरवर्क्स डीलर्स एसोसिएशन के सुदीप भौमिक ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दे दी तो हाई कोर्ट ने उस पर रोक क्यों लगाई है। उन्होंने ग्रीन पटाखों का स्टॉक जमा कर लिया है। ऐसे में अंतिम समय में प्रतिबंध लगाने से उन्हें बड़ा नुकसान होगा।

    याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दी यह दलील

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी पटाखों पर बैन लगाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया था। दिवाली, छठ पूजा और क्रिसमस पर ग्रीन पटाखों पर पाबंदी नहीं है। पटाखों पर पाबंदी का आदेश नेशनल ग्रीन टि्ब्यूनल (NGT) ने दिया था, जिसमें ग्रीन पटाखे को ही सशर्त मंजूरी दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसे ही गाइड लाइन के साथ जारी किया था। ऐसे में पश्चिम बंगाल में भी ग्रीन पटाखों की अनुमति मिलनी चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों पर जताई सहमति

    मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलों पर सहमति जताते हुए कहा कि जब सभी राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं तो पश्चिम बंगाल अपवाद कैसे हो सकता है? कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई भी राज्य पटाखों के बिक्री और उपयोग पर कोई नीतिगत फैसला नहीं करता है तक शीर्ष कोर्ट का आदेश सभी क्षेत्रों में सुसंगत होना चाहिए।

    पटाखों का मामला कोई नया नहीं- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों का मामला कोई नया नहीं है। 2018 में पहला आदेश आया था, इसके बाद फिर से आदेश आया, लेकिन कोई फायदा नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने ऐसा कोई नया मामला नहीं बनाया है। सिर्फ ये कहना कि आदेश को लागू करने में प्रैक्टिकल दिक्कत है, काफी नहीं है। कोर्ट ने कहा यदि कुछ राज्य इस तरह पटाखों पर बैन लगाते हैं और कोई इसे चुनौती देता है तो शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई करेगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को दिए पटाखों की जांच के आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को पटाखों के राज्य में लाने के दौरान उनके ग्रीन पटाखें होने का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि ग्रीन पटाखों की पहचान के लिए मैकेनिज्म पहले से मौजूद है बस इसे मजबूत करना है।

    पटाखों पर बैन की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने दी यह दलील

    सभी पटाखों पर बैन की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि पटाखा निर्माता बैन रासायनों के पटाखों को ग्रीन पटाखे बनाकर बेच रहे हैं। फर्जी क्यूआर कोड वाले पटाखे बनाए और बेचे जा रहे हैं। पाबंदी वाले पटाखे धड़ल्ले से बिक रहे हैं और कोर्ट के आदशों की धज्जियां उड़ रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों की सजा सभी को नहीं दी सकती है। कार्रवाई के लिए तंत्र मजबूत करना होगा।

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