बसपा सांसद पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर आत्मदाह करने वाली युवती की मौत, जानिए पूरा मामला
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश से बसपा सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का आरोप लगाने के बाद पुलिस अधिकारियों द्वारा परेशान किए जाने से दुखी होकर सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने दोस्त के साथ आत्मदाह करने वाली युवती ने मंगलवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
इससे पहले शनिवार को उसके 27 वर्षीय दोस्त ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। ऐसे में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
यहां जानते हैं आत्मदाह करने वाली युवती की पूरी कहानी।
पृष्ठभूमि
युवती ने बसपा सांसद पर लगाया था दुष्कर्म का आरोप
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 24 वर्षीय पीड़ित वाराणसी के UP कॉलेज की छात्रा रही थी। उसने 1 मई, 2019 को घोसी लोकसभा सीट से बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ वाराणसी के लंका थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था।
उसने आरोप लगाया था कि वह राय को छात्र संघ चुनाव लड़ने के दौरान जानती थी और उससे वित्तीय मदद मांगी थी।
7 मार्च, 2018 को राय ने उसे अपने लंका स्थित फ्लैट पर बुलाकर दुष्कर्म किया था।
वीडियो
पीड़िता ने राय पर लगाया था दुष्कर्म का वीडियो बनाने का आरोप
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि राय ने दुष्कर्म का वीडियो बनाकर उसके घटना के बारे में बताने पर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी थी।
इसके बाद उस पर मामला वापस लेने के लिए कई तहर के दबाव बनाए गए, लेकिन वह नहीं मानी।
इसके बाद राय ने 22 जून, 2019 को एक कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। उन्होंने जेल में रहते हुए ही लोकसभा चुनाव जीता था।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद राय ने ली थी शपथ
सांसद अतुल राय चुनाव जीतने के बाद से ही प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वह सांसद पद की शपथ ले पाए थे। राय पर दर्ज दुष्कर्म का मामला प्रयागराज की एक स्थानीय अदालत में लंबित है।
प्रतिशोध
राय के भाई ने पीड़िता के खिलाफ दी थी धोखाधड़ी की शिकायत
नवंबर 2020 में राय के भाई पवन कुमार ने वाराणसी में पीड़िता के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा दी।
इसमें आरोप लगाया कि 2015 में युवती ने एक छात्र नेता के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत में अपनी जन्मतिथि 10 मार्च, 1997 दिखाई थी, लेकिन 2019 में राय के खिलाफ दर्ज कराए मामले में उसने अपनी जन्मतिथि 10 जून, 1997 दिखाई थी।
ऐसे में उसकी दोनों अंकतालिकाओं में अलग-अलग जन्म तिथि धोखाधड़ी का पुख्ता सुबूत है।
FIR
पुलिस ने इन धाराओं में दर्ज की थी FIR
राय की भाई की शिकायत के आधार पर पुलिस ने पीड़िता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419 (फर्जी दस्तावेज द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की मांग करना), 467 (मूल्यवान दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी का उद्देश्य), 471 (असली की जगह फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था।
गत 2 अगस्त को कोर्ट ने पीड़िता के खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिया था।
आत्मदाह
पीड़िता ने 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के सामने किया आत्मदाह
पीड़िता ने 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के बाहर अपने दोस्त सत्यम राय के साथ खुद को आग के हवाले कर दिया।
इससे वह गंभीर रूप से झुलस गए थे। उन्हें राममनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हादसे में पीड़िता 85 प्रतिशत और युवक 65 प्रतिशत झुलस गए थे और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
ऐसे में शनिवार को सत्यम ने दम तोड़ दिया और मंगलवार को पीड़िता की मौत हो गई।
आरोप
आत्मदाह से पहले पीड़िता ने किया था फेसबुक लाइव
आत्मदाह से पहले पीड़िता ने फेसबुक लाइव किया था। जिसमें उसने आरोप लगाया था कि सांसद अतुल राय के इशारे पर वाराणसी के पूर्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) अमित पाठक, पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेश (ADG) अमिताभ ठाकुर सहित कुछ जज भी उनके पीछे पड़े हुए हैं। इनकी मिलीभगत से उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में पुलिस और अदालत के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय से भी मदद नहीं मिल रही है।
मजबूरी
पीड़िता के दोस्त ने भी लगाया गंभीर आरोप
वीडियो में पीड़िता के दोस्त ने कहा था कि उन्होंने पैसों का प्रलोभन छोड़कर भूखे-प्यासे रहकर अतुल राय के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखी थी। जिससे की लोगों का कानून और पुलिस व्यवस्था पर भरोसा बढ़ सके।
उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक दबाव के चलते एक चंगुल में फंस गए हैं। यदि उनके पास भी कोई राजनीतिक आश्रय होता तो शायद उन्हें इस तरह परेशान नहीं होना पड़ता और आत्मदाह जैसा गंभीर कदम नहीं उठाना पड़ता।
कार्रवाई
पुलिस ने घटना के बाद उठाए ये कदम
इस घटना के बाद वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने कैंट थाना प्रभारी राकेश सिंह और विवेचक गिरिजा शंकर को निलंबित कर दिया।
इसके अलावा घटना की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने दो सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया है। इसमें पुलिस महानिदेशक डॉ आरके विश्वकर्मा और नीरा रावत शामिल हैं।
जांच कमेटी ने 24 अगस्त को अमिताभ ठाकुर से लंबी पूछताछ की थी। जिसमें उन्होंने सभी आरोपों को नकार दिया।
बयान
2019 से ही परेशान कर रहे थे सांसद और उनके सहयोगी- पिता
पीड़िता के पिता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "उसने हमें कभी भी अपने मामले के बारे में नहीं बताया। सांसद और उनके सहयोगी 2019 से हमे परेशान कर रहे थे। वो केस वापस कराना चाहते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कुछ वीडियो दिखाकर भी हमें धमकाया, लेकिन मेरी बेटी ने कहा कि वह लड़ेगी।"
उन्होंने कहा, "मेरी बेटी फरार नहीं हुई थी। वह परेशान और निराश थी। मैं चाहता हूं कि पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।"