नोएडा: गिराए जाएंगे सुपरटेक के दो 40 मंजिला टावर, सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश
क्या है खबर?
नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दो 40 मंजिला टावरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इन दोनों टावरों को अवैध करार देते हुए तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह पूरा मामला नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर के बीच मिलीभगत का बड़ा उदाहरण है और नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर से मिलीभगत के चलते ही इन दोनों टावरों के निर्माण को मंजूरी दी थी।
प्रकरण
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने टावरों के निर्माण को बताया था अवैध
बता दें कि नोएडा के एमराल्ड कोर्ट में सुपरटेकर की ओर से दो 40 मंजिला टावरों के निर्माण किया गया था।
इसको एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अवैध ठहराया था। उस दौरान सुपरटेक ने दोनों टावरों का बचाव करते हुए इन्हें पूरी तरह से वैध बताया था।
सुपरटेक ने तर्क किया दिया था कि टावरों को मंजूरी मिलने और निर्माण के शुरू होने के समय याचिकाकर्ता फर्म अस्तित्व में भी नहीं थी।
जानकारी
याचिकाकर्ता फर्म ने दी थी यह दलील
मामले में याचिकाकर्ता ने कहा था कि टावरों के बीच आवश्यक दूरी की अनदेखी हुई है। भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं करने से अग्नि सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन हुआ है। टावरों के निर्माण के लिए हरित क्षेत्र का भी उल्लंघन हुआ है।
आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में दिए थे टावरों को गिराने के आदेश
मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावरों को गिराने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे।
इसके बाद सुपरटेक ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी और NBCC को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिया दोनों टावरों को गिराने का आदेश
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला वाले दो टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया था। यह निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है।
पीठ ने कहा कि अब सुपरटेक को अपनी लागत पर तीन महीने में दोनों दावरों को गिराना होगा और सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसा लौटाना होगा।
आदेश
CBRI के पर्यवेक्षण में किया जाएगा टावरों को गिराने का कार्य
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टावरों को गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा। नोएडा प्राधिकरण केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की (CBRI) के विशेषज्ञों और अपने विशेषज्ञों से परामर्श करेगा। तोड़फोड़ का कार्य CBRI के पर्यवेक्षण में होगा। यदि CBRI इसमें असमर्थता जताता है तो अन्य विशेषज्ञ एजेंसी की मदद ली जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक को इस फैसले की प्राप्ति से एक महीने में RWA को दो करोड़ रुपये बतौर हर्जाना देना होगा।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान बिल्डर का पक्ष लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आप बिल्डर की भाषा बोल रहे हैं, आपके अंग-अंग से भ्रष्टाचार टपकता है। इन टावरों का निर्माण आपकी और बिल्डर की मिलिभगत से ही हुआ है।"
बता दें कि सुनवाई के दौरान नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने सुपरटेक का बचाव किया था और फ्लैट खरीदने वालों में ही कमियां बताई थी।
टिप्पणी
अवैध निर्माण में हो रही है बेतहाशा वृद्धि- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। ऐसे में पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा। सुपरटेक द्वारा किया गया यह निर्माण सुरक्षा मानकों को बहुत अधिक कमजोर करता है। इसलिए इस तरह की अवैधता से सख्ती से निपटना होगा।
उन्होंने कहा कि बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित करता है, जिसके वो हकदार हैं।