भाजपा सांसदों की उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग पर भड़की ममता बनर्जी
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल में तृणमृल कांग्रेस (TMC) और भाजपा के बीच चल रही खींचतान अभी खत्म भी नहीं हुई है कि अब विवाद का एक और नया मामला सामने आ गया है।
हाल ही में भाजपा के दो सांसदों ने उत्तर बंगाल के जिलों को मिलाकर नया केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर विवाद को हवा दे दी।
इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुरी तरह से भड़क गई है और उन्होंने कहा है कि वह राज्य को नहीं बंटने देंगी।
प्रकरण
सबसे पहले भाजपा सांसद जॉन बार्ला ने उठाई मांग
इंडिया टुडे के अनुसार अलीपुरद्वार से भाजपा सांसद जॉन बार्ला के लखीपाड़ा टी गार्डन स्थित आवास पर रविवार को बंद कमरे में हुई एक बैठक में उत्तर बंगाल को अगल केंद्र शासित प्रदेश की मांग पर चर्चा की गई।
बार्ला ने मंगलवार को कहा, "मैंने मांग की। यहां कामतापुरी, ग्रेटर कूच बिहार और गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन हुए हैं। मेरा मानना है कि उत्तर बंगाल को अलग करते हुए नया केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए।"
तर्क
छोटे राज्य करते हैं बेहतर प्रदर्शन- बार्ला
पूर्व में एक स्वायत्त आदिवासी क्षेत्र के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर चुके बार्ला ने कहा, "छोटे राज्य बेहतर प्रदर्शन करते हैं। पिछले कुछ सालों में उत्तर बंगाल में भाजपा एक दबदबे वाली ताकत के रूप में उभरी है।"
उन्होंने आगे कहा, "उत्तर बंगाल की अनदेखी की गई है और इसके समक्ष सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हैं। हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित है, चाय बागान बंद हो रहे हैं। हम केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बेहतर स्थिति में होंगे।"
प्रयास
संसद में उठाई जाएगी अगल केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग- बार्ला
बार्ला ने कहा कि वह मामले में अन्य सांसदों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे तथा मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे।
बता दें कि क्षेत्र से भाजपा के चार सांसद हैं और उनमें से कम से कम एक जलपाईगुड़ी से सांसद जयंत रॉय ने कहा कि बार्ला ने ये टिप्पणियां निजी हैसियत से की है, लेकिन वह भी इस मामले में उनका समर्थन करते हैं। इसके बाद सियासी घमासान बढ़ गया।
हमला
मुख्यमंत्री बनर्जी ने साधा भाजपा पर निशाना
उत्तर बंगाल को अगल केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की मांग पर सत्तारूढ़ TMC ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, "चुनाव में हार के बाद भाजपा को शर्मिंदा होना चाहिए, लेकिन वह बंगाल को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। वो किसके हित में बंगाल को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं?"
उन्होंने आगे कहा, "वह किसी भी सूरत में भाजपा को राज्य के लोगों के अधिकार नहीं छीनने देंगी।"
दावा
"मैं किसी को भी बंगाल का विभाजन नहीं करने दूंगी"
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, "केंद्र शासित प्रदेश के गठन से लोगों के अधिकार खत्म हो जाएंगे, क्योंकि यह उन्हें राज्य के दर्जे के लाभों से वंचित करता है।"
उन्होंने कहा, "मैं किसी को बंगाल को विभाजित करने की अनुमति नहीं दूंगी। केंद्र शासित प्रदेश का मतलब नई दिल्ली की दया पर होना और सभी स्वतंत्रता को खोना है, लेकिन मैं उत्तर बंगाल या बंगाल के किसी अन्य हिस्से को अपनी स्वतंत्रता खोने और नई दिल्ली पर निर्भर नहीं बनने दूंगी।"
प्रतिक्रिया
भाजपा अध्यक्ष ने किया मांग से इनकार
इधर, पूरे मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनकी पार्टी ने बंगाल के विभाजन का कोई एजेंडा नहीं बनाया है और भाजपा के किसी पदाधिकारी ने ऐसी कोई बात नहीं कही है।
उन्होंने कहा कि TMC विभिन्न मुद्दे उठाकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि बंगाल को विभाजित करने या कोई अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भाजपा की कोई योजना नहीं है।
पृष्ठभूमि
उत्तर बंगाल में अलग क्षेत्र की मांग को लेकर हुए हैं कई आंदोलन
बता दें कि देश की आजादी के बाद उत्तर बंगाल में कई जातीय समूहों ने अलग-अलग क्षेत्रों की मांग के लिए आंदोलन किए हैं।
हालांकि, उनमें से किसी ने भी पूरे उत्तर बंगाल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग नहीं की।
उत्तर बंगाल में सबसे लंबा और सबसे हिंसक आंदोलन गोरखालैंड के लिए रहा है। इसके चलते वहां गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन की स्थापना करनी पड़ी है। कामतापुरी जैसे अन्य आंदोलन अब लगभग समाप्त हो चुके हैं।