
मेटा को क्रैंबिज एनालिटिका मामले में राहत, जज ने खारिज किया अमेरिका में चल रहा केस
क्या है खबर?
फेसबुक की मूल कंपनी मेटा के खिलाफ 2018 से अमेरिका में चल रहा गोपनीयता से जुड़ा मुकदमा गुरुवार को उच्च कोर्ट के जज मौरिस रॉस ने खारिज कर दिया।
जज ने अपने फैसले में पाया कि कैंब्रिज एनालिटिका मामले में कंपनी ने उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं किया।
मेटा के खिलाफ दायर मुकदमे में उस पर जिले के उपभोक्ता संरक्षण कानून के उल्लंघन का आरोप लगा था।
मामला
फेसबुक पर क्या आरोप थे?
मार्च, 2018 में राजनीतिक कंसल्टिंग कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व कर्मचारियों, सहयोगियों और दस्तावेजों का हवाला देते हुए कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने खुलासा किया था कि कंपनी ने दुनियाभर के लगभग 8.7 करोड़ फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा बिना उनकी अनुमति के इकट्ठा कर लिया था।
कंपनी ने ये डाटा ऐसे थर्ड कंपनी ऐप्स के जरिए इकट्ठा किया था। आरोप है कि फेसबुक को इसकी जानकारी थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया।
जज
जज ने अपने फैसले में क्या कहा?
जज मौरिस ने कहा कि फेसबुक की कार्यशैली से प्रशासन असहमत हो सकता है, लेकिन ऐसा कोई कानूनी आधार नहीं है, जिसके लिए फेसबुक को अलग तरह से काम करने की आवश्यकता हो।
जज ने कहा कि फेसबुक की नीतियों में खुलासा किया गया है कि कैसे थर्ड पार्टी यूजर्स का डाटा प्राप्त कर सकती हैं और इस प्लेटफॉर्म ने यह भी निर्देश दिए हैं कि डाटा को किस स्तर तक शेयर किया जा सकता है।
जानकारी
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने जताई फैसले पर असहमति
डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कैंब्रिज एनालिटिका मामले में उच्च कोर्ट के फैसले से असहमति जताई है। अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कहा कि वह और विकल्पों पर विचार कर रहा है।
चुनाव
कैंब्रिज एनालिटिका ने किया था डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम
कैंब्रिज एनालिटिका 2016 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रप के लिए काम करने के बाद काफी ज्यादा चर्चा में आई थी। इस चुनाव में ट्रंप की अप्रत्याशित जीत का श्रेय कैंब्रिज एनालिटिका को भी दिया गया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका की स्थापना अमेरिका में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर साल 2013 में की गई थी। ब्रिटेन की कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका को अब बंद कर दिया गया है।
तरीका
भारत में भी दर्ज हुआ था कैंब्रिज एनालिटिका पर केस
कैंब्रिज एनालिटिका राजनीतिक और कॉर्पोरेट ग्राहकों को यूजर्स/मतदाताओं की पसंद-नापसंद से लेकर टार्गेटेड ऐडवरटाइजिंग और डाटा-संबंधित अन्य सर्विस देती थी। न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, लंदन सहित कई जगह इसके ऑफिस थे।
फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका के इस स्कैंडल और इन दोनों के काम करने के तरीकों का खुलासा एनालिटिका के ही कर्मचारी रहे क्रिस्टोफर वाइली ने किया था। इस खुलासे के बाद दुनियाभर में इंटरनेट प्राइवेसी को लेकर काफी सवाल उठे थे।
भारत में भी कैंब्रिज एनालिटिका पर केस दर्ज हुआ था।