क्या है SWIFT जिससे रूस को किया गया बाहर और इसका क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए रूस के कई बड़े बैंकों को अंतरराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम SWIFT से बाहर करने का ऐलान किया। यूक्रेन पर हमले के बाद ये रूस पर लगाई गई सबसे बड़ी आर्थिक पाबंदी है और कई विशेषज्ञ इसे "आर्थिक पाबंदियों का परमाणु बम" भी कह चुके हैं। SWIFT आखिर है क्या और इससे बाहर किए जाने का रूस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए विस्तार से जानते हैं।
क्या है SWIFT?
SWIFT का पूरा नाम 'सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन' है। ये एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म है जिसके जरिए कई देशों के आर्थिक संस्थान पैसों के लेनदेन जैसे मौद्रिक लेनदेन की सूचना एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं। इसे बैंकिंग सिस्टम का जीमेल भी कहा जा सकता है। SWIFT असल पैसों का ट्रांसफर नहीं करता, बल्कि ये लेनदेन की सूचना को वेरिफाई करके एक बिचौलिये का काम करता है। 200 देशों के 11,000 से अधिक बैंक इसका इस्तेमाल करते हैं।
SWIFT का मालिक कौन है और इसमें रूस के कितने संस्थान हैं?
SWIFT यूरोपीय देश बेल्जियम के कानून के तहत रजिस्टर्ड एक कॉपरेटिव कंपनी है। इसकी वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के अनुसार, शेयरहोल्डर इसके मालिक हैं और इसे नियंत्रित करते हैं। इन शेयरहोल्डर्स में दुनियाभर की लगभग 3,500 कंपनियां शामिल हैं। सबसे अधिक अमेरिका के वित्तीय संस्थान (बैंक आदि) SWIFT का उपयोग करते हैं, वहीं रूस दूसरे स्थान पर है और उसके कुल वित्तीय संस्थानों में से आधे से अधिक (लगभग 300) SWIFT का इस्तेमाल करते हैं।
पाबंदियों का रूस पर क्या असर पड़ेगा?
रूस के बैंकों को SWIFT से बाहर किए जाने का उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा और उसके बैंक अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंकों से लेनदेन नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा पाबंदियों के काऱण रूस का केंद्रीय बैंक बाहरी देशों में जमा अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग भी नहीं कर पाएगा और इसे रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बाहरी देशों में रूस का 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार जमा है।
सोमवार को रूबल में बड़ी गिरावट आने की आशंका
रूसी केंद्रीय बैंक के पूर्व डिप्टी चेयरमैन सर्गेई अलेक्साशेंको के अनुसार, सोमवार को जब बाजार खुलेगा तो इन पाबंदियों के कारण रूस की मुद्रा रूबल में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। उन्होंने आधे उपभोक्ता बाजार के खत्म होने का अनुमान भी लगाया।
रूस के पास अब क्या रास्ता?
पाबंदियों की आशंका के चलते रूस पिछले काफी समय से SWIFT के विकल्प तलाशने की कोशिश कर रहा है, हालांकि इसमें उसे कोई खास सफलता नहीं मिली। उसने SWIFT जैसा खुद का पेमेंट सिस्टम 'सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेजेज' (SDFS) भी बनाया है, हालांकि ये अधिक सफल नहीं रहा। इसके अलावा वह चीन के साथ मिलकर भी SWIFT का एक विकल्प खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। इनके सफल होने पर ही रूस को पाबंदियों से राहत मिलेगी।
रूस पर पाबंदियों का भारत पर क्या असर पड़ सकता है?
अच्छे व्यापारिक संबंधों के कारण रूसी बैंकों को SWIFT से बाहर करने का भारत पर भी बड़ा असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच 2021-22 में 9.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था और भारत रूस से कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला और खाद आदि आयात करता है। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर भी है। पाबंदियों के कारण इन सभी पर प्रभाव पड़ेगा। रुपये में व्यापार करके पाबंदियों के असर को कम भी किया जा सकता है।