यूक्रेन-रूस तनाव के बीच पश्चिमी देश रूस पर कैसे प्रतिबंध लगा सकते हैं?
क्या है खबर?
यूक्रेन संकट के कूटनीतिक समाधान के प्रयासों के बीच रूस ने यूक्रेन के दो विद्रोही इलाकों लुहान्स्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर मान्यता दे दी।
इसके अलावा दोनों इलाकों में पूर्वी यूक्रेन में अपनी सेना भेजने का भी ऐलान किया है।
इससे अमेरिका सहित प्रमुख पश्चिमी और यूरोपीय देश नाराज हैं और उन्होंने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है।
आइए जानते हैं इन प्रतिबंधों का रूस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
ऐलान
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को किया ऐलान
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार रात देश के नाम संबोधन में पूर्वी यूक्रेन के लुहान्स्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर मान्यता देने और दोनों इलाकों में शांति कायम करने के लिए रूसी सेना को पूर्वी यूक्रेन में भेजने का ऐलान किया था।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन का एक असल राष्ट्र होने का कोई इतिहास नहीं है और आधुनिक यूक्रेन रूस का बनाया हुआ है। वर्तमान में यूक्रेन अमेरिका का उपनिवेश बन चुका है।
जानकारी
अमेरिका ने रूस को दी कठोर प्रतिबंध की चेतावनी
इस मामले में अमेरिका ने सख्ती दिखाते हुए यूक्रेन के दोनों विद्रोही इलाकों पर कई तरह की आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं और रूस को भी कठोर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। इसी तरह फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने भी चेतावनी दी है।
प्रतिबंध
बैंक और वित्तीय फर्मों पर प्रतिबंध की तैयारी
रूस के इस कदम के बाद अमेरिकी और यूरोपीय देश वित्तीय लेनदेन की दिशा में रूस के बैंकों पर कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं।
हालांकि, 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को कब्जे में लेने के बाद पहले से ही उसके कई बैंकों पर अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं, लेकिन अब अमेरिका रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए रूसी और अमेरिकी बैंकों के बीच के लेनदेन को रोक सकता है।
इससे रूस अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में पिछड़ जाएगा।
निशाना
इन बैंकों को बनाया जा रहा है निशाना
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी और यूरोपीय देश कुछ रूसी व्यक्तियों और कंपनियों को विशेष रूप से नामित नागरिकों (SDN) की सूची में रखकर, उन्हें अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली से निकालकर, अमेरिकियों के साथ उनके व्यापार पर प्रतिबंध लगाने और उनकी अमेरिकी संपत्ति को फ्रीज करने की योजना भी बना रहे हैं।
इसके अलावा VTB बैंक, VEB और गज़प्रॉम बैंकों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इससे रूस का अमेरिकी डॉलर में लेनदेन करना मुश्किल हो सकता है।
SWIFT
SWIFT लेनदेन पर प्रतिबंध से बिगड़ेगी रूस की स्थिति
रूस को चोट पहुंचाने के लिए सबसे बड़ा कदम उसके SWIFT लेनदेन पर प्रतिबंध लगाना है। SWIFT बैंकिंग प्रणाली का एक वैश्विक कोड है और इसके जरिए दुनिया भर के 200 देशों में 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान लेनदेन करते हैं।
इस तरह के प्रतिबंध 2012 में ईरान पर भी लगाए जा चुके हैं। जिसकी वजह से ईरान को तेल निर्यात से होने वाली 50 प्रतिशत आय और 30 प्रतिशत विदेशी व्यापार का नुकसान उठाना पड़ा था।
व्यक्तिगत
व्यक्तिगत प्रतिबंधों से भी दिया जा सकता है रूस को झटका
अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी और यूरोपीय देश रूस के अधिक कमाई करने वाले लोगों पर यात्रा प्रतिबंध और उनकी जमा संपत्ति को जब्त करके भी उसे झटका दे सकते हैं।
इन देशों ने पहले से ही कई रूसी लोगों पर इस तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। सोमवार को भी यूरोपीय संघ ने सितंबर 2021 में क्रीमिया में रूसी संसदीय चुनाव में शामिल हुए पांच लोगों पर प्रतिबंध लगाया था।
इन प्रतिबंधों को बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।
जानकारी
अमेरिकी चिप निर्यात पर भी प्रतिबंध की है तैयारी
अमेरिकी सरकार ने अपनी चिप कंपनियों को रूस के यूक्रेन पर हमला करने पर उसके चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। बता दें कि ऐसे प्रतिबंध शीत युद्ध के दौरान भी लगाए गए थे। इससे रूस तकनीकी रूप से पिछड़ गया था।
ऊर्जा
ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों पर भी प्रतिबंध की है तैयारी
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने पहले से रूस के कई ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगा रखा है।
इनमें गैस कंपनी गजप्रोम, उसकी तेल शाखा गजप्रोमनेफ्ट और तेल उत्पादक लुकोइल, रोसनेफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगॉज पर निर्यात, आयात और ऋण लेने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
ऐसे में जर्मनी अब रूस से आ रही प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम-2 पर भी रोक लगा सकता है। इस लाइन से 48 प्रतिशत आपूर्ति यूरोप में होती है।
ऐलान
ब्रिटेन ने किया रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान
इन संभावनाओं के बीच ब्रिटेन ने रूस पर सख्त प्रतिबंधों का ऐलान भी कर दिया है। इसके तहत ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसी तरह तीन ऊंची नेटवर्थ वाले लोगों पर भी प्रतिबंधों का ऐलान किया है।
इधर, फ्रांस और इटली ने भी प्रतिबंध की बात कही है। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने रूस के कदम को यूक्रेन की लोकतांत्रिक संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन करार दिया है और पीछे हटने की मांग की है।
बयान
भारत ने की शांति की अपील
इस मामले में भारत के केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत वार्ता के जरिए समाधान और शांति के पक्ष में है। उन्हें यकीन है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बातचीत के बाद कोई समाधान जरूर निकलेगा।
प्रतिक्रिया
हमें है प्रतिबंधों की आदत- रूस
प्रतिबंधों की चेतावनी के बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, "हमें प्रतिबंधों की आदत है। हम जानते हैं कि प्रतिबंध तो कारण और बिना कारण दोनों ही स्थिति में लगाए जाएंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे यूरोपीय, अमेरिकी, ब्रिटिश सहयोगी तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि वो तथाकथित रूस को सजा देने के लिए अपनी सभी संभावनाओं को समाप्त नहीं कर लेते। वे पहले से ही हमें सभी तरह के प्रतिबंधों की धमकी देते आए हैं।"
प्रभाव
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
यूक्रेन संकट का अब दुनिया भी असर दिखने लगा है। कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को आठ साल के उच्चतम स्तर 96.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। इसके पहले सितंबर 2014 में कीमतें इस स्तर पहुंची थी।
इसके अलावा प्रमुख शेयर बाजार में बिकवाली भी दिखनी शुरू हो गई है। निवेशक शेयर मार्केट से पैसे निकालकर गोल्ड में निवेश करने लगे हैं। इसके कारण दुनिया भर के शेयर मार्केट में गिरावट आना शुरू हो गया है।