राजस्थान: दौसा में महिला डॉक्टर की आत्महत्या का पूरा मामला क्या है?
राजस्थान के दौसा में एक महिला डॉक्टर की आत्महत्या पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। डॉक्टर के पति ने भाजपा के एक स्थानीय नेता पर पुलिस पर उनकी पत्नी के खिलाफ FIR दर्ज करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। इसी FIR के कारण डॉक्टर ने आत्महत्या की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले में दौसा के पुलिस अधीक्षक (SP) अनिल कुमार को भी हटा दिया है। ये पूरा मामला क्या है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
प्राइवेट अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत से शुरू हुआ विवाद
मामला दौसा के लालसोट स्थित आनंद अस्पताल से संबंधित है। सोमवार को अस्पताल में 22 वर्षीय गर्भवती महिला आशा बैरवा की मौत हो गई थी। शुरूआत में तो उसका पति और परिजन आशा के शव को अपने गांव ले गए, लेकिन बाद में वो शव और कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ फिर से अस्पताल पहुंचे और अस्पताल में लापरवाही का आरोप लगाया। मामले बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को कार्रवाई का भरोसा दिया।
पुलिस ने दर्ज की अस्पताल चलाने वाली डॉक्टर दंपत्ति के खिलाफ FIR
कुछ समय बाद पुलिस ने डॉ अर्चना शर्मा और उनके पति डॉ सुनीत उपाध्याय के खिलाफ हत्या की धारा 302 में केस दर्ज कर लिया। दंपत्ति मिलकर आनंद अस्पताल को चलाते थे और आशा की डिलीवरी डॉ अर्चना की देखरेख में हुई थी।
FIR से परेशान डॉ अर्चना ने की आत्महत्या
इस पूरे प्रकरण और FIR से परेशान डॉ अर्चना ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, "मैं अपने पति और बच्चों को बहुत प्यार करती हूं। कृपया मेरी मौत के बाद उन्हें परेशान मत करना। मैंने कुछ गलत नहीं किया और किसी को नहीं मारा। PPH (प्रसवोत्तर रक्तस्राव) एक ज्ञात परेशानी है, इसलिए डॉक्टर्स को इसे लेकर परेशान करना बंद कीजिए। शायद मेरी मौत मेरी बेगुनाही साबित करेगी। कृपया बेगुनाह डॉक्टर्स को परेशान मत कीजिए।"
डॉ उपाध्याय बोले- आशा को बचाने की पूरी कोशिश की
अर्चना की मौत के बाद बुधवार को उनके पति डॉ उपाध्याय ने वीडिया जारी करते हुए बताया कि आशा की डिलीवरी नॉर्मल हुई थी, लेकिन दो घंटे बाद उन्हें PPH हो गया। उन्होंने कहा कि दो घंटे तक वे उसे बचाने की कोशिश करते रहे, उस पर दो यूनिट खून चढ़ाया, लेकिन उसे बचा नहीं पाए। डॉ उपाध्याय ने कहा कि आशा के परिजनों ने भी हाथ जोड़कर माना था कि उन्होंने उसे बचाने की पूरी कोशिश की।
बाल्या जोशी के कहने पर अस्पताल पहुंचे परिजन- डॉ उपाध्याय
डॉ उपाध्याय ने कहा, "परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, लेकिन तभी बाल्या जोशी उनके घर गया, उन्हें उठाया और उनसे कहा कि वो उन्हें अच्छा-खासा मुआवजा दिलाएगा। उन्होंने शव को अस्पताल के बाहर रख दिया औऱ 100-200 लोगों की भीड़ जमा कर ली।" उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 2016 में अस्पताल शुरू करने के बाद से ही जोशी उन्हें पिछले पांच-छह साल से परेशान कर रहा है।
उपाध्याय का आरोप- जोशी को भाजपा नेता किरोड़ी लाल का संरक्षण
डॉ उपाध्याय ने कहा कि जोशी एक गुंडा है और उसे भाजपा नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा का संरक्षण हासिल है। उन्होंने कहा कि वह एक बार डिप्टी SP को भी पीट चुका है। उपाध्याय ने बताया कि जोशी की एक बड़े पत्रकार के साथ भी सांठगांठ है जो उसके कहे अनुसार खबर निकालता है और इसी कारण पुलिस ने उनकी शिकायत पर कभी भी जोशी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की।
जोशी के दबाव के कारण पुलिस ने दर्ज की FIR- उपाध्याय
उपाध्याय के आरोप लगाया कि जोशी के दबाव के कारण ही पुलिस ने उनकी पत्नी अर्चना के खिलाफ FIR दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि अर्चना FIR देख कर डर गई और उसे लगा कि वो उसे जेल भेज देंगे।
सरकार ने क्या कार्रवाई की?
मुख्यमंत्री गहलोत ने अर्चना की आत्महत्या को बेहद दुखद बताया है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने दौसा के SP, लालसोट के थानाध्यक्ष और सर्कल ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई की है। मामले में पूर्व भाजपा विधायक जितेंद्र गोठवाल को हिरासत में लिए जाने की खबर भी है। डिविजिनल कमिश्नर दिनेश कुमार यादव के नेतृत्व में मामले में एक जांच दल गठित किया गया है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी एक समिति बनाई गई है।
डॉक्टर्स का प्रदर्शन, स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
राजस्थान के डॉक्टर्स ने भी मामले के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया है और आज दौसा में कई निजी अस्पताल बंद हैं। अन्य कई जिलों में भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं और डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं।