जम्मू-कश्मीर: लगातार हो रही हत्याओं के बीच 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों का घाटी से बाहर तबादला
जम्मू-कश्मीर में लक्षित हत्याओं की वारदातें लगातार बढ़ती जा रही है। आतंकियों ने पिछले एक महीने में नौ लोगों को निशाना बनाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इससे कश्मीरी पंडितों सहित आम लोगों में दहशत का माहौल है। घाटी में तैनात सरकारी कर्मचारी अपने तबादले की मांग कर रहे हैं। इस बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों का घाटी से बाहर तबादला कर दिया है और शनिवार को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं।
कश्मीर में 1 मई के बाद आतंकियों ने की नौ लक्षित हत्याएं
बता दें कि आतंकियों ने 1 मई लक्षित हत्या की नौ वारदातों को अंजाम दिया है। आतंकियों ने गुरुवार को कुलगाम के एलाक्वाई देहाती बैंक में घुसकर उसके प्रबंधक और राजस्थान के हनुमानगढ़ जिला निवासी विजय कुमार को गोलियों से भून दिया था। इसी तरह शाम को बडगाम के माग्रेपोरा इलाके में ईंट भट्टे पर काम करने वाले दो मजूदरों पर गोलियां बरसाई थीं। इसमें बिहार निवासी दिलखुश की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य घायल हो गया था।
आतंकियों ने इन वारदातों को भी दिया था अंजाम
आतंकियों ने 31 मई को सांबा जिले के गोपालपोरा इलाके के सरकारी स्कूल में घुसकर महिला शिक्षक रजनी बाला (36) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसी तरह 27 मई को बारामूला में शराब दुकान पर ग्रेनेड फेंककर राजौरी निवासी रंजीत सिंह की हत्या कर दी थी। इसके अलावा 25 मई को बडगाम के चदूरा इलाके में टीवी कलाकार अमरीन भट और 24 मई को अंचार सौरा इलाके में कांस्टेबल सैफुल्ला कादरी की गोली मारकर हत्या की थी।
कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद से बढ़ा विरोध
बता दें आतंकियों ने 12 मई को बडगाम जिले के चदूरा तहसील में तहसीलदार कार्यालय में घुसकर कश्मीरी पंडित और क्लर्क राहुल भट की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस घटना के बाद से क्षेत्र में भारी विरोध किया जा रहा है। उस दौरान घाटी में तैनात 6,000 कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए अपना तबादला घाटी के बाहर करने की मांग की थी। इसी तरह गुरुवार को हुई दो हत्याओं के बाद भी विरोध प्रदर्शन किया गया था।
सरकारी कर्मचारियों ने दी थी काम पर न लौटने की चेतावनी
गुरुवार को बैंक प्रबंधक की हत्या के बाद कर्मचारियों ने जम्मू में विरोध मार्च निकालते हुए और अपना तबादला तत्काल गृह जिलों में करने की मांग की थी। इस विरोध मार्च में अधिकतर कर्मचारी कश्मीरी पंडित थे। कर्मचारियों का कहना था कि वो काम पर नहीं लौटेंगे क्योंकि सरकार लक्षित हत्याओं को रोकने और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में असफल रही है। बता दें कि जम्मू के विभिन्न जिलों के लगभग 8,000 सरकारी कर्मचारी कश्मीर में कार्यरत हैं।
गृह मंत्री ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के लिए की अहम बैठक
कश्मीर में गुरुवार को दो लोगों की हत्या किए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने और कश्मीरी पंडितों सहित प्रवासी नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। इसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, जम्मू कश्मीर के DGP, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी मौजूद थे। इसमें उन्होंने लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जारी किए तबादला आदेश
गृह मंत्री की इस बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के लिए कदम उठाते हुए घाटी में तैनात करीब 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों का घाटी से बाहर तबादला कर दिया। प्रशासन का कहना है कि अन्य कर्मचारियों की सूची भी तैयार की जा रही है। कर्मचारियों की सुरक्षा प्रशासन का पहला दायित्व है। इसी तरह घाटी में रहने वाले अन्य कश्मीरी पंडितों और प्रवासियों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।