अनुच्छेद 370 हटने के बाद केवल 34 बाहरी लोगों ने खरीदी जम्मू-कश्मीर में जमीन- गृह मंत्रालय
जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बाहरी लोगों के वहां जमीनें खरीद पाने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन अब तक महज 34 बाहरी लोग ही वहां जमीन खरीद पाए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में ये जानकारी दी। अपने लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, पिछले 3.5 साल में केवल 34 बाहरी लोगों ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदी है।
इन इलाकों में खरीदी गई है जमीनें
अपने जवाब में राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों द्वारा खरीदी गई सभी 34 जमीनों में जम्मू डिविजन की है। इनमें जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदेरबल क्षेत्र शामिल है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जमीन खरीदने वाले बाहरी लोगों का पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है और अब इसमें कोई परेशानी नहीं है।
अगस्त 2021 तक महज दो लोगों ने ही खरीदी थी जमीन
बता दें कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों का जमीन खरीद पाना आसान काम नहीं बन पाया है। यही कारण है कि अगस्त 2021 तक केंद्र शासित प्रदेश में महज दो बाहरी लोगों ने जमीन खरीदी थी और 15 दिसंबर, 2021 तक सात लोग ही जमीन खरीद पाए थे। हालांकि, उसके बाद जमीन खरीदने वालों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी हुई है और अब तक 34 बाहरी लोग वहां पर जमीन खरीद चुके हैं।
अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे बाहरी लोग
बता दें अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार देता था और इसके चलते देश के किसी अन्य हिस्से में रहने वाला व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता था। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर की लड़की यदि अन्य राज्य के किसी लड़के से शादी करती थी तो उसका अपनी पैतृक संपत्ति से अधिकार खत्म हो जाता था। इसी तरह राज्य का कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन या संपत्ति को दूसरे राज्य के निवासी के नाम नहीं कर सकता था।
केंद्र सरकार ने 2019 में हटाया अनुच्छेद 370, 2020 में भूमि पर लाई नया कानून
हालांकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। इसके अलावा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में भी बांट दिया गया। इसके बाद अक्टूबर, 2020 में केंद्र सरकार एक ऐसा कानून लेकर आई जिसके जरिए बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की इजाजत दी गई। इस कानून को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा गया।
केवल फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकते हैं बाहरी लोग
नए कानून में बाहरी लोगों को केवल फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीदने की इजाजत दी गई थी और खेती के लिए जमीन खरीदने पर रोक लगाई गई थी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अक्टूबर 2020 में नए कानून की अधिसूचना जारी करते हुए कहा था, "हम चाहते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश के बेहतर विकास के लिए बाहर के उद्योग जम्मू-कश्मीर में स्थापित हों। इसलिए जम्मू-कश्मीर की औद्योगिक भूमि में निवेश की जरूरत है।"
भूमि कानून में बदलाव का विरोध करते रहे हैं जम्मू-कश्मीर के नेता
जम्मू-कश्मीर के नेता और लोग भूमि कानून में बदलाव का विरोध करते रहे हैं। उनका मानना है कि भूमि कानून में बदलाव से कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग बस जाएंगे और इससे धीरे-धीरे यहां का जनसंख्या समीकरण बदल जाएगा।