#NewsBytesExclusive: नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो कैसे चुना? पढ़िए ओलंपिक से पहले की खास बातचीत
भारत के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। नीरज एथलेटिक्स में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाले पहले एथलीट बन गए हैं। उन्होंने 121 साल बाद भारत को एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक दिलाया। न्यूजबाइट्स ने फरवरी 2020 में नीरज से जैवलिन थ्रो को चुनने, उनके संघर्षों, ओलंपिक की तैयारियों और तमाम अन्य चीजों पर बात की थी। जानें उस समय नीरज ने क्या कुछ कहा था।
नीरज ने ऐसे रचा इतिहास
नीरज ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में 87.58 मीटर दूर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। वह शुरू से ही पहले स्थान पर बने रहे और अंत में भी पहले स्थान पर ही थे। टोक्यो ओलंपिक में भारत का यह सातवां पदक है।
खेती पर आधारित थी नीरज के परिवार की आजीविका
24 दिसंबर, 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खांदरा गांव में नीरज का जन्म हुआ था। नीरज के परिवार में लोग मुख्य रूप से खेती ही करते थे और उनके परिवार का कोई व्यक्ति खेल के क्षेत्र से नहीं जुड़ा हुआ था। उन्होंने परिवार के बारे में हमें बताया था, "हमारे घरवाले ज़्यादातर खेती ही करते थे। खेल से कोई जुड़ा नहीं था, लेकिन सबका कहना था कि मेहनत करने से मत डरो।"
ज़्यादा वजन होने के कारण घरवालों ने भेजा स्टेडियम
नीरज शुरुआत से खेल को लेकर इतने गंभीर नहीं थे और बचपन में उनका वजन काफी ज़्यादा था। उन्होंने हमें बताया था कि 11-12 साल की उम्र में ही लगभग 80 किलो वजन हो जाने के बाद उनके चाचा ने उन्हें स्टेडियम जाने को बोला था। उनका परिवार चाहता था कि वह स्टेडियम जाएं और अपनी फिटनेस पर काम करें ताकि उनका बढ़ा हुआ वजन काबू में आ सके। यहीं से उन्हें जैवलिन थ्रो के बारे में पता चला।
सीनियर्स को देखकर शुरु किया जैवलिन थ्रो
नीरज ने बताया, "स्टेडियम में सीनियर्स को जैवलिन थ्रो करते देखकर मेरे मन में भी यह करने का विचार आया। मैं स्टेडियम केवल फिटनेस के लिए गया था, लेकिन मैंने प्रोफेशनल खेल जैवलिन थ्रो के रूप में ही शुरु किया।" उन्होंने आगे कहा था, "जैवलिन थ्रो एक अलग खेल था। शुरुआत में ऐसा कुछ देखने को भी नहीं मिलता था कि ज्यादा लोग पदक जीत रहे हैं या खबरें आ रही हैं। हालांकि, परिवार वाले मेहनत करने को बोलते थे।"
नए खेल में हाथ आजमा रहे थे नीरज
नीरज ने आगे कहा था, "मैं एक नए खेल में हाथ आजमा रहा था और मेरे सामने काफी चैलेंज थे। बस यही सोच रहा था कि ट्रेनिंग अच्छे से करते रहना है और बाकी चीजें आने वाले समय के ऊपर छोड़ देनी है।"
जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर हुई थी काफी खुशी- नीरज
2016 में वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में नीरज ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था और 86.48 मीटर के साथ जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। अपनी इस उपलब्धि पर नीरज ने कहा था, "जब मैंने जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया तो मुझे काफी अच्छा लग रहा था। उस समय मेरी रैंकिंग फर्स्ट जरूर थी और मैंने चार मीटर से बेस्ट थ्रो की थी। मुझे इस बात की खुशी थी कि मैंने वर्ल्ड क्लास थ्रो के साथ जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।"
नेशनल रिकॉर्ड होल्डर हैं नीरज
मई 2018 में दोहा डायमंड लीग में 87.43 मीटर की थ्रो के साथ ही उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया था। 2018 एशियन गेम्स में 88.06 मीटर की थ्रो करने वाले नीरज ने नेशनल रिकॉर्ड को और बेहतर करते हुए स्वर्ण पदक जीता था। वह ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने से पहले ही एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, साउथ एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके थे।
डाइट के लिए नहीं होती कोई दिक्कत- नीरज
खान-पान के बारे में नीरज ने कहा था, "नेशनल कैंप में हमें अच्छी डाइट मिलती है और वो डाइट मिलती है जो एक एथलीट के लिए जरूरी होती है। पहले विदेश जाने पर दिक्कत होती थी, लेकिन अब वहां भी आसानी होती है।"
दूरी की बजाय पूरे प्रदर्शन पर रहती है निगाहें- नीरज
नीरज से जब पूछा गया कि क्या वह 90 मीटर के बैरियर को पार करने का लक्ष्य रखते हैं तो उन्होंने कहा था कि वह डिस्टेंस पर ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने कहा था, "मैं ये नहीं सोचता कि मुझे कितने मीटर की थ्रो करनी है बल्कि मैं अपने पूरे प्रदर्शन पर ध्यान देता हूं।" नीरज ने अपने कोच उवे हॉन के बारे में बताया था कि उन्होंने पुराने नियमों के तहत 104 मीटर की थ्रो फेंकी थी।
भारत और विदेशों की ट्रेनिंग में नहीं है ज़्यादा अंतर- नीरज
ट्रेनिंग के बारे में नीरज ने कहा था, "भारत और विदेशों की ट्रेनिंग में ज़्यादा अंतर नहीं है। हालांकि, विदेशों में लगातार इवेंट्स होते रहते हैं जिससे प्रतियोगियों को खुद को आजमाने का मौका मिलता रहता है।"
ओलंपिक में स्वर्ण जीतने के बाद क्या बोले नीरज?
नीरज ने न्यूजबाइट्स को बताया था कि उनकी ओलंंपिक की तैयारियां अच्छे से चल रही थी और वे कोर, स्ट्रेंथ, टेक्नीक और स्पीड पर काम कर रहे थे। वहीं ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर नीरज ने मीडिया से कहा, "मुझे पता था कि मैं अपना बेस्ट दूंगा। आज कुछ अलग करना था, लेकिन गोल्ड मेडल के बारे में मैंने नहीं सोचा था।" हरियाणा के 23 वर्षीय नीरज ने अपना स्वर्ण पदक दिग्गज एथलीट मिल्खा सिंह को समर्पित किया है।