भारत ने सैन्य ड्रोन में चीनी पार्ट्स के इस्तेमाल पर लगाई रोक, ये है वजह
भारत ने हाल के महीनों में सेना के लिए ड्रोन बनाने वाले भारतीय निर्माताओं को चीन में बने पुर्जों का उपयोग करने से रोक दिया है। इसके पीछे सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार भारतीय सेना के आधुनिकीकरण पर भी काम कर रही है, जिसमें मानव रहित क्वाडकॉप्टर, ऑटोनॉमस ड्रोन के साथ ही लंबी देरी तक उड़ान भरने वाले ड्रोन आदि के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर है।
चीनी पार्ट्स द्वारा इकट्ठा की जा सकती है खुफिया जानकारी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सुरक्षा से जुड़े जिम्मेदार लोग चीनी पुर्जों के इस्तेमाल से चिंतित थे। उनकी चिंता यह थी कि ड्रोन के कम्युनिकेशन फंक्शन, कैमरों, रेडियो ट्रांसमिशन और ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर में चीनी निर्मित पार्ट्स द्वारा खुफिया जानकारी एकत्र करके सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा सकता है। बता दें कि भारत ने 2023-24 में सैन्य आधुनिकीकरण के लिए लगभग 16,00,000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं, जिसमें से 75 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए रिजर्व है।
ड्रोन के पार्ट्स और सिस्टम के लिए विदेशों पर निर्भर है भारत
भारत के पास सेना के लिए इस्तेमाल होने वाले कुछ खास तरह के ड्रोन बनाने से जुड़ी तकनीकी और अन्य जानकारी की कमी है। यही वजह है कि देश ड्रोन से जुड़े पार्ट्स और उसके पूरे सिस्टम के लिए विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है। इस बारे में बात करते हुए सेना के लिए छोटे ड्रोन के सप्लायर बेंगलुरू स्थित न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के संस्थापक समीर जोशी ने कहा कि 70 प्रतिशत पार्ट्स चीन में बने होते थे।
चीनी पार्ट्स पर रोक से बढ़ी ड्रोन निर्माण की लागत
चीनी पार्ट्स पर रोक से ड्रोन बनाने वाले भारतीय फर्मों को भी मुश्किल हो रही है। सरकार और उद्योग विशेषज्ञों ने भी माना है कि चीनी पार्ट्स पर प्रतिबंध से स्थानीय स्तर पर सैन्य ड्रोन बनाने की लागत बढ़ गई है। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE) के निदेशक वाई दिलीप ने कहा कि मध्यम ऊंचाई में लंबी दक्षता वाले ड्रोन सिस्टम के निर्माण के लिए सरकार ने वित्त पोषित कार्यक्रम में कम से कम आधे दशक की देरी कर दी है।
अमेरिका से ड्रोन खरीदेगा भारत
दिलीप के मुताबिक, कुछ अन्य प्लेटफॉर्म सेना के लिए ड्रोन की सप्लाई करने के काम में लगे हुए हैं। तापस नामक प्लेटफॉर्म का एक ड्रोन 30,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और 24 घंटे तक हवा में रह सकता है। ADE भी मानव रहित स्टेल्थ ड्रोन और अधिक ऊंचाई तक उड़ने वाले ड्रोन पर काम कर रही है। हालांकि, इनमें अभी समय लगेगा। तब तक ड्रोन की कमी पूरा करने के लिए भारत अमेरिका से MQ-9 ड्रोन खरीदेगा।
अमेरिका के MQ-9 ड्रोन की ये है खासियत
मानव रहित और रिमोट कंट्रोल से उड़ने वाले MQ-9 ड्रोन की खासियत की बात करें तो यह ड्रोन 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है और 11,000 किलोमीटर दूर से हमला करने में सक्षम है। यह 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसमें 2 लेजर गाइडेड AGM-114 हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं, जो हवा से जमीन पर सटीक हमला करने के लिए जानी जाती हैं।