
मानवाधिकार पर बात हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को व्याख्यान नहीं देंगे बाइडन- व्हाइट हाउस
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मानवाधिकार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई व्याख्यान नहीं देंगे। बुधवार को व्हाइट हाउस की ओर से जारी आधिकारिक बयान में यह बात कही गई।
अमेरिकी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी की राजकीय यात्रा को देखते हुए राष्ट्रपति बाइडन को एक पत्र लिखकर उनसे मोदी के सामने भारत में लोकतांत्रिक पिछड़ेपन और मानवाधिकार जैसे गंभीर मुद्दे उठाने को कहा था।
मोदी 24 अप्रैल तक अमेरिका के दौरे पर हैं।
सांसदों का पत्र
75 अमेरिकी सांसदों ने बाइडन को लिखा है पत्र
अमेरिका में भारतवंशी सांसद प्रमिला जयपाल सहित 75 सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडन को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि भारत-अमेरिका के मजबूतों संबंधों का वह समर्थन करते हैं और यह मानते हैं कि मित्र देशों को अपने मतभेदों को मिटाने के लिए सार्थक चर्चा करनी चाहिए।
सांसदों ने पत्र में बाइडन से अनुरोध किया है कि वह भारत-अमेरिका के साझा हितों के अलावा मोदी से भारत में मानवाधिकार और लोकतांत्रिक संकट पर भी बातचीत करें।
बयान
व्हाइट हाउस ने अपने बयान में क्या कहा?
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन ने कहा, "उम्मीद है कि राष्ट्रपति बाइडन भारत में लोकतांत्रिक पिछड़ने के बारे में अमेरिका की चिंताओं को उठाएंगे, लेकिन वह प्रधानमंत्री मोदी को इस विषय पर व्याख्यान नहीं देंगे।"
सुलिवन ने कहा, "जब अमेरिका प्रेस, धार्मिक या अन्य स्वतंत्रता के लिए चुनौतियों को देखता है तो हम अपने विचारों से संबंधित देशों को अवगत कराते हैं। इसका एक तरीका होता है, लेकिन हम किसी को व्याख्यान नहीं देना चाहते हैं।"
जानकारी
भारत में लोकतंत्र के सवाल पर क्या बोला अमेरिका?
सुलिवन ने कहा, "हम दावा नहीं करते हैं कि हमारे सामने स्वयं इस तरह की चुनौतियां नहीं हैं। जहां तक भारत में राजनीति और लोकतांत्रिक संस्थानों का सवाल है तो यह खुद भारतीय तय करेंगे। अमेरिका इसमें कुछ निर्धारित नहीं करने जा रहा है।"
लोकतंत्र
अमेरिका ने कहा- भारत में विविधतापूर्ण लोकतंत्र है
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के बीच व्हाइट हाउस ने कहा था कि अमेरिका की तरह ही भारत भी एक विविधतापूर्ण लोकतंत्र है और दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों पर काम करना जारी रखेंगे।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था, "लोकतंत्र एक कठिन व्यवस्था है और हम वह जानते हैं। हमने अपने देश में इसे महसूस किया है। आपको लगातार इस पर काम करना पड़ता है। भारत में जीवंत लोकतंत्र है।"
मुद्दा
बाइडन पर उनके साथी नेताओं का है दबाव
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 5 बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन यह उनकी पहली राजकीय यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी के सामने मानवाधिकारों के मुद्दे उठाने को लेकर बाइडन पर उनके साथी डेमोक्रेट्स का दबाव है।
इसके अलावा बाइडन और मोदी दोनों ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उससे आगे चीन की बढ़ती ताकत से जूझ रहे हैं। हालांकि, अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि यह यात्रा चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में नहीं है।