केंद्रीय कैबिनेट ने दी ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों से संबंधित बिल को मंजूरी, जानें क्या है खास
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने आज ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2019 को मंजूरी दे दी।
इसे संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किया जाएगा।
सरकार ने इसे ट्रांसजेंडर्स का सशक्तिकरण करने वाला बिल बताया है।
इसमें उन्हें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अधिकार प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
2016 में भी इस बिल को लाया गया था, लेकिन राज्यसभा में पास न हो पाने के कारण ये रद्द हो गया था।
ट्विटर पोस्ट
ट्रांसजेंडर अधिकार बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
Union Cabinet approves The Transgender Persons (Protection of Rights) Bill 2019.
— ANI (@ANI) July 10, 2019
बयान
ट्रांसजेंडर्स को मुख्यधारा का हिस्सा बनाना है बिल का उद्देश्य
बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट के बिल को मंजूरी देने के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, "बिल बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुंचाएगा और इस हाशिये पर पड़े समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रह, भेदभाव और अपराधों को मिटाएगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाएगा।"
इसमें ये भी कहा गया है कि बिल में ट्रांसजेंडर्स से संबंधित मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों की ज्यादा जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रावधानों की आलोचना
2016 में आए बिल की हुई थी आलोचना
मोदी सरकार इससे पहले 2016 में इसी नाम से ट्रांसजेंडर बिल लेकर आई थी।
लेकिन ट्रांसजेडर्स की परिभाषा और तमाम अन्य मुद्दों को लेकर इस बिल पर ट्रांसजेंडर समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का रुख बेहद ठंडा रहा था और कई प्रावधानों को लेकर विरोध भी देखा गया था।
अंत में 27 संशोधनों के साथ इसे 17 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पास किया गया, लेकिन आलोचना के मुख्य मुद्दों पर फिर भी ध्यान नहीं दिया गया।
क्या है खास?
बिल में हैं ये मुख्य प्रावधान
बिल के अनुसार, ट्रांसजेंडर्स को पहले जिलाधिकारी और जिला स्तरीय समिति की स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ेगा, जिसमें वह उसकी मेडिकल, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक जांच करेंगे।
इसके बाद उन्हें 'ट्रांसजेंडर' का पहचान पत्र दिया जाएगा।
ये पहचान पत्र हासिल करने के बाद ही वो स्वास्थ्य, रोजगार और शिक्षा जैसे सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे।
बिल में उन्हें भीख मांगने को मजबूर करने या सार्वजनिक जगह पर न जाने देने को कानूनन अपराध बनाया गया है।
समस्या
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मेल नहीं खाते कई प्रावधान
ट्रांसजेंडर की पहचान पाने के लिए जिला स्तरीय समिति के प्रमाण पत्र की जरूरत का प्रावधान ट्रांसजेंडर्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रांसजेंडर्स खुद महिला, पुरुष और थर्ड जेंडर के रूप में खुद की पहचान का चुनाव कर सकते हैं।
इसके अलावा बिल में ट्रांसजेंडर्स को रोजगार और शिक्षा में आरक्षण के मुद्दे पर कुछ नहीं है, जिसकी बात सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में की थी।
सुप्रीम कोर्ट फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों पर दिया था ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन्हें थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यता दी थी।
ट्रांसजेंडर्स के खिलाफ होने वाले भेदभाव पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने उन्हें सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय बताया था और सरकार से उन्हें आरक्षण देने को कहा था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रांसजेंडर्स इस देश के नागरिक हैं और उन्हें सामाजिक बराबरी पाने का पूरा हक है।