अरविंद केजरीवाल करेंगे नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार, प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा, "जब इस तरह से खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की बैठक का कोई मतलब नहीं रह जाता है।" बता दें कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच नौकरशाहों पर नियंत्रण के अधिकार की लड़ाई जारी है।
केजरीवाल ने पत्र में प्रधानमंत्री के किये कई सवाल?
केजरीवाल ने अपने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा, "दिल्ली वालों ने 8 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली की जनता को न्याय मिला। मात्र 8 दिन में आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया।" उन्होंने लिखा, "आप दिल्ली की चुनी हुई सरकार कोई फैसले नहीं ले सकती तो वह काम कैसे करेगी। आप दिल्ली सरकार पंगु बनाना चाहते हैं? क्या यही आपका भारत देश के लिए विजन है और क्या यही सहकारी संघवाद है?"
केजरीवाल ने पत्र में और क्या लिखा?
केजरीवाल ने लिखा, "आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में जबरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानते हैं तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जाएंगे।" उन्होंने लिखा, "लोगों ने कहा हमें कल होने वाली नीति आयोग की बैठक में नहीं जाना चाहिए, इसलिए मेरा कल की बैठक में शामिल होना संभव नहीं होगा।"
इन राज्यों के मुख्यमंत्री भी बैठक में नहीं लेंगे हिस्सा
केजरीवाल के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी बैठक में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ममता का आरोप है कि नीति आयोग की बैठक में भाषणबाजी होती है और उन्हें घंटों बैठाकर बोलने का मौका नहीं दिया जाता है। इस बैठक के बहिष्कार के ऐलान के बाद केंद्र और विपक्ष पार्टियों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
कब होगी नीति आयोग की बैठक?
27 मई यानि कल प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग के संचालन परिषद की 8वीं बैठक होनी है। बैठक में मुख्य रूप से देश को 2047 तक विकसित देश बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचा विकास जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं दिख रहा।
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच क्या है लड़ाई?
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच दिल्ली में नौकरशाहों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार को लेकर लड़ाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली सरकार के हक में फैसला सुनाया था। मामले में केंद्र ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया। इस अध्यादेश के तहत दिल्ली में नौकरशाहों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाया गया है।