
#NewsBytesExplainer: असीम मुनीर बने फील्ड मार्शल; क्या होती है ये रैंक, क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?
क्या है खबर?
पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को भारत के साथ हालिया संघर्ष में उनकी 'भूमिका' के लिए फील्ड मार्शल पद पर पदोन्नत करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है।
मुनीर पाकिस्तान के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे सैन्य अधिकारी बन गए हैं। इससे पहले 1959 में जनरल मोहम्मद अयूब खान फील्ड मार्शल बने थे।
आइए इस पद के बारे में जानते हैं।
रैंक
क्या होता है फील्ड मार्शल?
दरअसल, भारत और पाकिस्तान की सेनाएं ब्रिटिश सेना की तरह ही रैंक प्रणाली पर आधारित हैं।
फील्ड मार्शल एक 5 सितारा अधिकारी रैंक है, जो जनरल के बाद की सबसे ऊंची रैंक है।
भारतीय सेना में देखा जाए तो फील्ड मार्शल नौसेना के एडमिरल और वायु सेना के मार्शल के बराबर है।
ये भारतीय सेना की सर्वोच्च रैंक है, लेकिन सेना की वर्तमान संरचना में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
भारत
भारत में कौन-कौन रहा है फील्ड मार्शल?
भारतीय सेना के इतिहास में केवल 2 लोगों को ही फील्ड मार्शल की रैंक मिली है- सैम मानेकशॉ और कोडंडेरा एम करिअप्पा।
1973 में सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल बने थे। उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सेवा के लिए यह रैंक दी गई थी।
3 जनवरी, 1973 को मानेकशॉ को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में इस पद पर पदोन्नत किया गया था।
वहीं, करिअप्पा को सेवानिवृत्ति के सालों बाद 1986 में फील्ड मार्शल बनाया गया था।
रिटायरमेंट
कभी सेवानिवृत्त नहीं होते फील्ड मार्शल
फील्ड मार्शल की रैंक औपचारिक होती है और औपचारिक कारणों से या युद्धकाल में दी जाती है। युद्ध के दौरान विशेष परिस्थितियों में खास सैन्य उपलब्धियां हासिल करने पर यह रैंक दी जाती है।
फील्ड मार्शल कभी सेवानिवृत्त नहीं होते और मृत्यु तक उन्हें 'सक्रिय' माना जाता है।
हालांकि, फील्ड मार्शल अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से आधिकारिक क्षमता में कोई पद नहीं संभालते हैं, क्योंकि यह औपचारिक पद होता है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान में फील्ड मार्शल रैंक का क्या इतिहास रहा है?
पाकिस्तान में बीते 5 दशक में किसी को फील्ड मार्शल बनाया गया है।
इससे पहले जनरल अयूब खान 1959 में फील्ड मार्शल बने थे। हालांकि, उन्होंने तख्तापलट के बाद और सेवानिवृत्ति से ठीक पहले खुद को ही ये रैंक दे दी थी।
इस तरह असीम मुनीर नागरिक सरकार द्वारा फील्ड मार्शल रैंक से नवाजे जाने वाले पहले पाकिस्तानी जनरल हैं।
भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी ये सशस्त्र बलों का सर्वोच्च पद और 5 सितारा रैंक है।
सुविधाएं
फील्ड मार्शल को मिलती हैं ये सुविधाएं
फील्ड मार्शल भले ही आधिकारिक क्षमता में कोई पद नहीं संभालते हैं, लेकिन जब भी उचित लगे वे अपनी वर्दी पहन सकते हैं और इस पर सभी बैज भी लगा सकते हैं।
उनके आधिकारिक वाहन पर भी 5 सितारे लगे होते हैं।
फील्ड मार्शल के सलामी देने का तरीका भी अलग होता है। वे सैन्य सलामी में हाथ उठाकर सलामी देने के बजाय अपने खास डंडे को सर तक उठाकर सलामी देते हैं।
परिचय
कौन है असीम मुनीर?
मुनीर का जन्म 1968 में रावलपिंडी में हुआ था। वे 1986 में पंजाब के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के माध्यम से पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए। वे जापान, मलेशिया और इस्लामाबाद में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
मुनीर फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में सेवारत थे और बाद में उत्तरी क्षेत्रों में ब्रिगेडियर भी रहे।
मुनीर अक्टूबर, 2018 से जून, 2019 तक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख भी रह चुके हैं। वे 2022 में सेना प्रमुख बने थे।