
#NewsBytesExplainer: क्या है तीस्ता नदी परियोजना, बांग्लादेश-चीन के बीच इस पर चर्चा से भारत क्यों चिंतित?
क्या है खबर?
बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस 26 मार्च से चीन दौरे पर हैं। वहां उन्होंने हैनान में एशिया एनुअल कॉन्फ्रेंस के तहत चीन के बोआओ फोरम में भाग लिया।
28 मार्च को यूनुस ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच 9 समझौते भी हुए। अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर यूनुस का ये पहला चीन दौरा है।
आइए जानते हैं इस दौरान भारत के नजरिए से क्या अहम हुआ।
समझौते
9 समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने बताया कि दोनों नेताओं ने 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर एक समझौता और 8 समझौता ज्ञापन (MoU) हैं।
ये समझौते प्राचीन ग्रंथों के अनुवाद और प्रकाशन, सांस्कृतिक विरासत, समाचार आदान-प्रदान, मीडिया, खेल और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग से जुड़े हैं।
PTI के मुताबिक, यूनुस ने चीन से क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करने में योगदान देने का आग्रह किया।
बयान
बैठक को लेकर दोनों नेताओं ने क्या कहा?
संयुक्त बयान के मुताबिक, "बांग्लादेश ने चटगांव में चाइनीज इकोनॉमिक एंड इंडस्ट्रियल जोन (CEIZ) को विकसित करने की इच्छा जताई। बांग्लादेश ने मोंगला पोर्ट फेसिलिटीज परियोजना में भागीदारी के लिए चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया। दोनों पक्ष औद्योगिक और सप्लाई चेन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत करने, बेल्ट एंड रोड कोऑपरेशन को आगे बढ़ाने और आधुनिकीकरण को एकसाथ बढ़ावा देने पर सहमत हुए। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और निवेश पर जल्द वार्ता शुरू करने पर सहमति बनी।"
भारत
भारत से जुड़े किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश ने तीस्ता रिवर कॉम्प्रीहेंसिव मैनेजमेंट एंड रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट (TRCMRP) में चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया है।
बता दें कि तीस्ता परियोजना के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पहली पसंद भारत था।
इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलुंग जंग्बो और बांग्लादेश में जमुना) पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी के आदान-प्रदान के लिए दोनों देशों ने एक कार्यान्वयन समझौते पर भी हस्ताक्षर किए।
परियोजना
क्या है तीस्ता नदी परियोजना?
तीस्ता नदी पूर्वी हिमालय के पौहुनरी पर्वत से निकलकर सिक्किम-पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश जाकर ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है।
इस परियोजना का उद्देश्य बाढ़ पर अंकुश लगाना, कटाव रोकना और जमीन हासिल करना है। परियोजना के तहत नदी के बांग्लादेश वाले हिस्से में एक बैराज का निर्माण किया जाना है।
कई जगहों पर नदी की चौड़ाई कम करना और कई जगहों पर गहराई बढ़ाना भी परियोजना में शामिल है।
विवाद
नदी को लेकर भारत-बांग्लादेश के बीच क्या विवाद है?
बांग्लादेश तीस्ता नदी के पानी का आधा हिस्सा चाहता है, खासकर गर्मियों में जब नदी का बहाव कम हो जाता है।
वहीं, भारत का प्रस्ताव है कि नदी का 37.5 प्रतिशत पानी बांग्लादेश, 42.5 प्रतिशत भारत और बाकी 20 प्रतिशत पर्यावरणीय प्रवाह के लिए रखा जाए।
भारत ने पश्चिम बंगाल में सिंचाई के लिए नहरें भी बनाना चाहता है। बांग्लादेश का कहना है कि इससे उसके क्षेत्र में नदी का प्रवाह और कम हो जाएगा।
चीन
परियोजना में चीन का दखल भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
तीस्ता नदी परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हुई हैं।
दरअसल, ये परियोजना 'चिकन नेक' के नजदीक है। ये पश्चिम बंगाल में लगभग 28 किलोमीटर का वो हिस्सा है, जो पूर्वोत्तर भारत के 7 राज्यों को बाकी देश से जोड़ता है। इसके पास ही में बांग्लादेश और नेपाल भी हैं।
ऐसे में अगर इस परियोजना में चीन शामिल होता है तो भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं।
वार्ता
परियोजना को लेकर भारत-बांग्लादेश के बीच वार्ता कहां पहुंची?
2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे पर तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका।
2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश गए थे। वहां उन्होंने समझौते पर सहमति का भरोसा दिया था, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।
यूनुस का चीन के प्रति झुकाव देखते हुए आशंका है कि परियोजना और खटाई में पड़ सकती है।