जलवायु परिवर्तन: क्या है COP27 और ये क्यों महत्वपूर्ण है?
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मिस्र के शर्म अल-शेख शहर में COP27 शिखर सम्मेलन हो रहा है। यह सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा और इसमें तमाम वैश्विक नेताओं के इकट्ठा होने की संभावना है। COP27 में कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी जो जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए बेहद अहम हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि COP27 आखिर क्या है और मानवता के भविष्य के लिए ये क्यों महत्वपूर्ण है।
COP27 का क्या मतलब है?
संयुक्त राष्ट्र (UN) जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हर साल एक शिखर सम्मलेन का आयोजन करता है जिसे COP के नाम से जाना जाता है। COP का मतलब है 'कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज' यानि पार्टियों का सम्मेलन। चूंकि ये 27वां सम्मेलन है, इसलिए इसे COP27 नाम दिया गया है। इन सम्मेलनों में वो सभी देश हिस्सा लेते हैं जिन्होंने 1992 के UN जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसे देशों की संख्या लगभग 200 है।
जलवायु परिवर्तन का मुद्दा क्या है?
इंसानी गतिविधियों के कारण धरती गर्म (ग्लोबल वॉर्मिंग) होती जा रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है। UN के अनुसार, औद्योगिक क्रांति के बाद से वैश्विक तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और अगर यह 1.5 डिग्री से अधिक जाता है तो जलवायु परिवर्तन को रोकना असंभव हो जाएगा और मानवता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। हालिया समय में भयंकर गर्मी, ठंड, बाढ़, तूफान और सूखों जैसे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी दुष्प्रभाव देखने को भी मिले हैं।
COP27 क्यों महत्वपूर्ण है?
जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों को देखते हुए 2016 में पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता हुआ था, जिसमें सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक तक सीमित रखने के प्रयास करने की बात कही गई थी। वैज्ञानिक ने इसे अपर्याप्त बताया था और तभी से सरकारों पर इस दिशा में अधिक ठोस कदम उठाने का दबाव है। ऐसे में COP27 बेहद अहम हो जाता है और इसमें होने वाले फैसलों पर सबकी नजरें होंगी।
COP27 में किन मुद्दों पर चर्चा होगी?
वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों का नेट उत्सर्जन जीरो करना बेहद जरूरी है, इसलिए COP27 में उत्सर्जन में कटौती एक अहम मुद्दा रहने वाला है। उत्सर्जन में कटौती और जलवायु परिवर्तन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए विकासशील और गरीब देशों को आर्थिक मदद प्रदान करने पर भी इस सम्मेलन में चर्चा की जाएगी। इसके अलावा COP26 में अधूरे छूटे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा।
सम्मेलन में क्या-क्या फैसले लिए जाने की उम्मीद?
COP27 में कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा, इसकी उम्मीद बेहद कम है। फिर भी सबकी नजरें इस बात पर होंगी कि जलवायु परिवर्तन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए विकासशील देशों को आर्थिक मदद देने पर कोई फैसला होता है या नहीं। वैज्ञानिकों इस सम्मेलन को लेकर खास उत्साहित नहीं हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत देर हो चुकी है और जलवायु परिवर्तन पहले ही खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है।
न्यूजबाइट्स प्लस
पिछले साल स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित हुए COP26 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि भारत 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। ये पहली बार था जब भारत ने जीरो उत्सर्जन को लेकर कोई वादा किया था। हालांकि अभी भी भारत अन्य देशों से पीछे है। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने 2050 और चीन ने 2060 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है।