चीन ने रोका UNSC में कोरोना वायरस पर चर्चा का प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कोरोना वायरस पर चर्चा के एक प्रस्ताव को चीन ने रोक दिया है। ये प्रस्ताव यूरोप के एस्टोनिया देश ने पेश किया था और उसने कोरोना वायरस को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। हालांकि ये प्रस्ताव चीन के गले नहीं उतरा और उसने रूस और दक्षिण अफ्रीका की मदद से इसे रोक दिया। चीन ने कहा कि कोरोना वायरस पर चर्चा करने के लिए UNSC में आम सहमति नहीं है।
एस्टोनिया ने पिछले हफ्ते पेश किया था प्रस्ताव
UNSC के अस्थायी सदस्य एस्टोनिया ने पिछले हफ्ते कोरोना वायरस को लेकर UNSC की बैठक बुलाने की मांग की थी। अपने इस प्रस्ताव में उनसे कहा था कि कोरोना वायरस के अभूतपूर्व प्रकोप के कारण दुनियाभर में चिंताएं बढ़ रही हैं और इससे वैश्विक शांति और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एस्टोनिया ने अपने प्रस्ताव में कोरोना वायरस से संबंधित मामलों में पूर्ण पारदर्शिता की मांग भी की थी।
चीन ने रूस और दक्षिण अफ्रीका की मदद से रोका प्रस्ताव
एस्टोनिया का ये प्रस्ताव, विशेषकर पारदर्शिता वाली बात चीन के गले नहीं उतरी और उसने शुरूआत में ही इस प्रस्ताव को रोक दिया। उसने कहा कि UNSC में इसे लेकर आम सहमति नहीं है जो ऐसे चर्चा के लिए अनिवार्य है। वहीं रूस और दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार और दुनिया की शांति और सुरक्षा को खतरे में कोई सीधा संबंध नहीं है। बता दें कि रूस और दक्षिण अफ्रीका चीन के करीबी सहयोगी हैं।
अन्य स्थायी सदस्यों में भी नहीं दिखा खास उत्साह
इस प्रस्ताव को लेकर UNSC के अन्य स्थायी सदस्यों में भी खास उत्साह देखने को नहीं मिला जो खुद अपने-अपने देशों में कोरोना वायरस को काबू करने में जुटे हुए हैं। एक राजनयिक ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से कहा, "ये साफ है कि पांचों स्थायी सदस्य अपनी सीमाएं खोलने जैसा ऐसा कोई समाधान नहीं चाहते जो उन पर बाध्य हो।" ऐसा नहीं कि UNSC ने पहले किसी वायरस पर चर्चा नहीं की और 2015 में उसने इबोला पर चर्चा की थी।
क्या है UNSC?
UNSC संयुक्त राष्ट्र (UN) की सबसे ताकतवर संस्था है जो दुनिया की शांति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम फैसले लेता है। इसके पांच स्थायी सदस्य (अमेरिकी चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस) हैं जिनके पास वीटो पॉवर होती है।
G-20 में भी दिखी सहयोग की कमी
कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों के प्रति कम रुचि का एक उदाहरण गुरूवार को हुए G-20 सम्मेलन में भी देखने को मिली। जहां एक तरफ भारत ने वायरस के खिलाफ वैश्विक रणनीति बनाने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में सुधार की वकालत की, वहीं बाकी देशों में इसे लेकर खास रूचि नहीं दिखी। बता दें कि WHO ने वायरस के प्रसार को लेकर पारदर्शिता नहीं अपनाने को लेकर चीन पर कोई ठोस टिप्पणी नहीं की है।
चीन ने दुनिया से छिपाई थी कोरोना वायरस की जानकारी
चीन में पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस का प्रसार शुरू हुआ था लेकिन उसने मध्य जनवरी तक बाकी दुनिया को इसे लेकर आगाह नहीं किया। यही नहीं चीन लगातार वायरस के इंसानी संपर्क के जरिए न फैलने की बात भी कहता रहा। इस बीच वायरस पूरी दुनिया में फैलता रहा और अब इसका असर देखने को मिल रहा है। हालांकि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को छोड़ बाकी किसी बड़े देश ने इसे लेकर चीन पर सवाल नहीं उठाए हैं।
दुनियाभर में लगभग 5.3 लाख लोग संक्रमित, 24,000 से अधिक की मौत
गौरतलब है कि अब तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 5.3 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं जबकि 24,000 से अधिक लोग इसके कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। इटली में सबसे अधिक 7503 मौतें हुईं हैं और उसके बाद स्पेन और चीन का नंबर आता है। वहीं संक्रमणों के मामले में अमेरिका चीन को पीछे छोड़ पहले नंबर पर पहुंच गया है और देश में वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 85,000 पार कर गई है।
भारत में 724 मामले, 17 की मौत
अगर भारत की बात करें तो देश में अब तक कोरोना वायरस के 724 मामले सामने आ चुके हैं वहीं 17 लोगों को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक चार लोगों की मौत हुई है।