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भारत ने विकसित देशों से तेजी से जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने को कहा
भारत ने विकसित देशों से तेजी से जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने को कहा

भारत ने विकसित देशों से तेजी से जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने को कहा

Nov 01, 2021
09:35 am

क्या है खबर?

भारत ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठा चुके विकसित देशों से जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तेजी से हासिल करने को कहा है ताकि विकासशील देश इसका फायदा उठा कर कुछ प्रगति कर सकें। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के लिए भारत के प्रतिनिधि पीयूष गोयल ने रविवार को ये बात कही। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में भारत विकासशील देशों की आवाज उठाएगा। उन्होंने जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए टेक्नोलॉजी के विकास पर भी जोर दिया।

बयान

अपने बयान में क्या-क्या बोले पीयूष गोयल?

गोयल ने अपने बयान में कहा, "विकसित देश ऊर्जा का भरपूर लाभ उठा चुके हैं और उन्हें कुल जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तेजी से हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि विकासशील देशों को कुछ 'कार्बन स्पेस' मिल सके। अभी ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिसकी मदद से बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हो सके। (जीरो उत्सर्जन के लिए) साल तय करने से पहले हमें अधिक टेक्नोनॉजी और इनोवेशन की जरूरत है।"

बयान

विकासशील देशों के हितों को सुरक्षित करने पर जोर दे रहा भारत- गोयल

गोयल ने कहा कि भारत ने विकासशील देशों के हितों को सुरक्षित करने पर जोर दिया है और इसी के कारण G-20 ने पहली बार जलवायु संबंधित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सतत और जिम्मेदारीपूर्वक खपत को अहम माना है।

G-20 सम्मेलन

गरीब देशों को 100 अरब डॉलर की मदद देने को राजी हुए विकसित देश

बता दें कि इटली की राजधानी रोम में हुए G-20 शिखर सम्मेलन में विकसित देश गरीब देशों की मदद के लिए 100 अरब डॉलर का फंड बनाने के लिए राजी हुए हैं। इसका मतलब विकसित देश 100 अरब डॉलर का एक फंड बनाएंगे जिसका इस्तेमाल स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ रहे गरीब देशों की मदद के लिए किया जाएगा। कुछ देश मिलाकर अभी तक इस फंड में 45 अरब डॉलर देने का वादा कर चुके हैं।

कार्बन उत्सर्जन

2050 तक जीरो उत्सर्जक को लेकर प्रतिबद्ध नहीं हैं भारत समेत कई देश

बता दें कि भारत, चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों और समूहों ने अभी तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य नहीं रखा है। जीरो कार्बन उत्सर्जन का मतलब है कि कोई देश उतनी ही ग्रीनहाउस गैस पर्यावरण में छोड़ेगा, जितनी पेड़ और टेक्नोलॉजी आदि सोख सकेंगे। भारत ने COP26 से पहले यह लक्ष्य रखने से इनकार कर दिया है, वहीं कार्बन के सबसे बड़े उत्सर्जक चीन ने इसके लिए 2060 का लक्ष्य रखा है।

अहमियत

क्यों अहम है कार्बन उत्सर्जन जीरो करना?

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मानवता को जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से बचाना है तो वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक तक सीमित रखना होगा। इसके लिए 2050 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन क लक्ष्य प्राप्त करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता तो जलवायु परिवर्तन उस स्तर पर पहुंच सकता है जिसके बाद इसे रोकना असंभव हो जाएगा। इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए COP26 हो रह है जो 14 नवंबर तक चलेगा।