COP26: प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा ऐलान- 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा भारत
क्या है खबर?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हो रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (COP26) में नई जान फूंक दी। उन्होंने ऐलान किया कि भारत 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
ये पहली बार है जब भारत ने नेट जीरो के लिए कोई साल निर्धारित किया है। नेट जीरो का मतलब है कि भारत कार्बन डाईऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उतना ही उत्सर्जन करेगा जितना पेड़ और तकनीक सोख सकेंगे।
वादे
प्रधानमंत्री मोदी ने किए पांच बड़े वादे
प्रधानमंत्री मोदी ने COP26 में दिए गए अपने भाषण में नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने समेत कुल पांच बड़े ऐलान किए। उन्होंने कहा, "मैं भारत की ओर से इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं।"
पहला ऐलान करते हुए मोदी ने कहा कि भारत 2030 तक रीन्यूएबल एनर्जी की अपनी क्षमता को 500 गीगावट कर देगा। पहले भारत ने इसे 450 गीगावाट तक करने का लक्ष्य रखा था।
अन्य वादे
2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें रीन्यूएबल एनर्जी से पूरा करेगा भारत
दूसरा ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें रीन्यूएबल एनर्जी से पूरा करेगा। इसके अलावा उन्होंने 2030 तक अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करने का वादा भी किया।
अपने चौथे वादे में मोदी ने 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी (कार्बन उत्सर्जन प्रति GDP यूनिट) 2005 के मुकाबले 45 प्रतिशत कम करने का वादा किया।
2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन पांचवां और आखिरी वादा रहा।
मांग
प्रधानमंत्री ने अमीर देशों से जलवायु फाइनेंस 10 गुना बढ़ाने को कहा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में अमीर देशों से गरीब देशों की मदद करने को भी कहा ताकि वे नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर सकें। उन्होंने कहा, "भारत की अपेक्षा है कि दुनिया के विकसित देश जलवायु फाइनेंस के तौर पर 1 ट्रिलियन डॉलर उपलब्ध कराएंगे।"
ये आंकड़ा अमीर देशों द्वारा जलवायु फाइनेंस के तौर पर निर्धारित किए गए 100 अरब डॉलर के फंड से 10 गुना अधिक है। इस पर पेरिस समझौते में सहमति बनी थी।
तुलना
पेरिस समझौतों के लक्ष्य से एक कदम आगे बढ़ा भारत
COP26 में प्रधानमंत्री मोदी के ऐलानों के साथ ही भारत 2016 में पेरिस जलवायु समझौते के समय किए गए अपने वादों से एक कदम आगे बढ़ गया है।
इस समझौते में भारत ने 2030 तक 40 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें रीन्यूएबल एनर्जी से पूरा करने का लक्ष्य रखा था, वहीं अब इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है।
इसी तरह पेरिस समझौते में भारत ने कार्बन इंटेन्सिटी 33-35 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा था, अभी ये 45 प्रतिशत है।
देरी
बड़े देशों में नेट जीरो हासिल करने की साल घोषित करने वाला भारत आखिरी देश
बता दें कि बड़े कार्बन उत्सर्जक देशों में भारत आखिरी ऐसा देश है जिसने नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए कोई साल निर्धारित किया है। पिछले काफी समय से उससे ये मांग की जा रही थी।
अमेरिका और यूरोपीय देश पहले ही 2050 तक नेट जीरो का ऐलान कर चुके हैं, वहीं चीन ने 2060 तक नेट जीरो हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
चीन और अमेरिका कार्बन उत्सर्जन के मामले में पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
अहमियत
क्यों अहम है नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य?
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मानवता को जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से बचाना है तो वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक तक सीमित रखना होगा।
इसके लिए 2050 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता तो जलवायु परिवर्तन उस स्तर पर पहुंच सकता है जिसके बाद इसे रोकना असंभव हो जाएगा।
इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए COP26 हो रहा है जो 14 नवंबर तक चलेगा।