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जलवायु परिवर्तन: ट्रम्प ने फिर लगाए भारत पर आरोप, कहा- न स्वच्छ हवा, न स्वच्छ पानी

जलवायु परिवर्तन: ट्रम्प ने फिर लगाए भारत पर आरोप, कहा- न स्वच्छ हवा, न स्वच्छ पानी

Jun 06, 2019
12:30 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से भारत पर जलवायु परिवर्तन पर पर्याप्त प्रयास न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत के साथ-साथ चीन और रूस पर भी ये आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका में सबसे स्वच्छ वातावरण है। इससे पहले पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका का नाम वापस लेते वक्त भी उन्होंने भारत और अन्य देशों को दोष दिया था। ट्रम्प जलवायु परिवर्तन को बड़ा खतरा नहीं मानते हैं।

मुलाकात

प्रिंस चार्ल्स के साथ हुई जलवायु परिवर्तन पर बातचीत

ट्रम्प ने ये बातें मंगलवार को ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स के साथ जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बातचीत के बाद कहीं। अपने ब्रिटेन के तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन बुधवार को ITV को दिए एक इंटरव्यू में ट्रम्प ने बताया कि ज्यादातर समय चार्ल्स ही बोलते रहे और उन्होंने केवल उनकी बाते सुनीं। उन्होंने मुद्दे पर चार्ल्स के उत्साह की सराहना की, लेकिन अमेरिका को मुद्दे पर अधिक करने की जरूरत है, इससे सहमत नहीं हुए।

बयान

ट्रम्प ने कहा- अमेरिका के पास सबसे स्वच्छ वातावरण

ट्रम्प ने चार्ल्स से कहा, "अभी अमेरिका के पास सबसे स्वच्छ वातावरणों में से एक है और यह सब आंकड़ों पर आधारित है। ये और बेहतर हो रहा है क्योंकि मैं इस बात से सहमत हूं कि हमें सबसे स्वच्छ पानी की जरूरत है।"

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बयान

ट्रम्प ने कहा- भारत में न स्वच्छ हवा, न स्वच्छ पानी

ट्रम्प ने इस दौरान भारत सहित अन्य देशों में खराब वातावरण होने का उदाहरण देते हुए उन पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, "चीन, भारत, रूस और अन्य कई देश, उनके यहां हवा बहुत अच्छी नहीं है, पानी बहुत अच्छा नहीं है और प्रदूषण की कोई समझ नहीं। अगर आप कुछ शहरों में जाते हैं तो आप सांस भी नहीं ले सकते। अब जब ये चीजें बाहर आ रही हैं तो वो इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं।"

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आरोप

पेरिस समझौते से बाहर होते वक्त भी लगाए थे भारत पर आरोप

बता दें कि 2017 में जलवायु परिवर्तन से बाहर होते वक्त भी ट्रम्प ने भारत और चीन जैसे विकासशील देशों पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि पेरिस समझौते इन देशों को गैर-जरूरी फायदे पहुंचाता है। इसके बाद से वह अपनी इस दलील को कई बार दोहरा चुके हैं। ट्रम्प जलवायु परिवर्तन को बड़ी समस्या नहीं मानते। उनका मानना है कि जो परिवर्तन हो रहे हैं वो सामान्य हैं और मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।

पेरिस समझौता

क्या है पेरिस समझौता?

2016 में हुए पेरिस समझौते में सभी देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू करने पर राजी हुए थे। इसमें वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य रखा गया था। पेरिस समझौते के तहत सभी देश अपने कार्बन उत्सर्जन को पूर्व निर्धारित सीमा से नीचे रखने पर राजी हुए थे। अमेरिका के बाहर होने के बाद भी फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने समझौते को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।

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