पाकिस्तान ने तालिबान के लिए किया समर्थन आधार का काम, जमकर की मदद- अमरुल्ला सालेह
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति और वर्तमान कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान को सेवा और सहायता प्रदान करने के लिए पाकिस्तान की जमकर खिंचाई की है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने पाकिस्तान का समर्थन आधार के रूप में इस्तेमाल किया और पूरा पाकिस्तान तालिबान की सेवा में खड़ा था। बता दें कि सालेह और पंजशीर नेता अहमद मसूद 15 अगस्त तालिबान के देश पर कब्जा करने के बाद से उसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने अमेरिका से पैसे लेकर तालिबान को मजबूत किया
CNN-News18 को दिए साक्षात्कार में सालेह ने कहा कि पाकिस्तान के तालिबान का समर्थन करने के पीछे बड़ा कारण यह था कि उसने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका जितना पैसा देता रहा उतना अधिक पाकिस्तान तालिबान को सेवाएं और सहायता मुहैया कराता रहा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पश्चिमी सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान ने कभी भी अपने देश मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया।
दोहा वार्ता ने तालिबान को दिलाई वैधता; अमेरिका ने अफगान सरकार को किया ब्लैकमेल- सालेह
सालेह ने कहा कि दोहा वार्ता ने तालिबान को वैधता प्रदान दिलाई, जो कभी अपने शब्दों के प्रति वफादार नहीं रहे। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं किया और पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मूर्ख बनाया। उन्होंने कहा कि दोहा का उद्देश्य उन्हें शांतिपूर्ण प्रक्रिया के बारे में आशान्वित रखना था जो अस्तित्व में नहीं थी। अमेरिकी सहयोगियों ने भी अफगानिस्तान पर दबाव डाला और कैदियों को रिहा नहीं करने पर सहायता रोक देने की धमकी दी।
"कैदियों को रिहा करने का मतलब था तालिबान को कट्टरपंथी लड़ाकों को उपहार देना"
सालेह ने कहा, "अफगान सरकार को आशंका थी कि कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा तो वह अग्रिम मोर्चे पर समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में यह कैदियों की रिहाई नहीं थी बल्कि तालिबान को अत्यधिक कट्टरपंथी लड़ाकों का एक विभाजन उपहार में देना था।"
अमेरिकी सेना की वापसी पर सालेह ने क्या कहा?
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी पर सालेह ने कहा कि यह निर्णय सैन्य और खूफिया न होकर पूरी तरह से राजनीतिक था। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से "गलत निर्णय" पर आधारित था और अब अमेरिका ने इसकी कीमत चुकाना शुरू कर दिया है। वर्तमान में पूरे विश्व का मीडिया उनके बारे में नकारात्मक बातें लिख रहा है। सालेह ने कहा कि उन्होंने पहले भी अमेरिकी प्रशासन को इस तरह के परिणामों की चेतावनी दी थी।
"तालिबान की जीत नहीं, वाशिंगटन में राजनीतिक जीत की कमी"
सालेह ने कहा, "अमेरिका एक वैश्विक शक्ति है और स्पष्ट है कि एक गलत राजनीतिक निर्णय एक महाशक्ति को भी अपमानित करा सकता है। यह तालिबान नहीं था जो जीता...यह वाशिंगटन में राजनीतिक जीत की कमी थी जिसके कारण यह हालत हुए हैं।"
काबुल हवाई अड्डे पर नजर आया 'बर्फ की चट्टान का टुकड़ा'
तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़ने के लिए भागे लोगों के कारण काबुल हवाई अड्डे पर फैली अराजकता में दर्जनों लोगों की मौत होने के सवाल पर सालेह ने कहा कि यह सिर्फ बर्फ की चट्टान का एक टुकड़ा है। उन्होंने कहा कि देश त्रासदी में डूब गया है और आतंकवादी समूहों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। वो तब तक लड़ेंगे जब तक "दुश्मन" यह नहीं मानता कि अफगानिस्तान को "तालिबानिस्तान" नहीं बनना चाहिए।
पंजशीर में नियंत्रण में है स्थिति- सालेह
तालिबान के खिलाफ विरोध का गढ़ बनी पंजशीर घाटी में तालिबानी हमले की खबरों पर सालेह ने कहा कि इस क्षेत्र में स्थिति पूरी तरह से उनके नियंत्रण में है। हालात इतने सामान्य है कि वह वहां बहुत कम सुरक्षा से साथ खुलेआम घूमते हैं।
अफगानिस्तान में क्या हो रहा है?
हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कुख्यात विद्रोहियों के एक समूह तालिबान ने इस महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। उन्होंने कुछ ही दिनों में काबुल पहुंचने से पहले कई प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया था। पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी भी 15 अगस्त को देश छोड़कर भाग गए थे। तालिबान की वापसी संयुक्त राज्य अमेरिका के 20 साल के युद्ध के बाद सैनिकों को वापस लेने के फैसले के साथ हुई है।