UNSC में भारत ने कहा- बिना किसी डर के काम कर रहे हैं लश्कर और जैश
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए आतंकवाद पर भारत की चिंताएं जाहिर कीं और पाकिस्तान और चीन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों का भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ काम करना लगातार जारी है और इसमें उन्हें संरक्षण और प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हक्कानी नेटवर्क की बढ़ती गतिविधियां इन चिंताओं को सही ठहराती हैं।
जयशंकर ने ISIL-खोरासन पर जाहिर की चिंता, कहा- शक्तिशाली हो रहा है
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ बोल रहे जयशंकर ने कहा, "हमारे बिल्कुल पड़ोस में ISIL-खोरासन पहले से अधिक शक्तिशाली हो गया है और लगातार अपने कदम फैलाने की कोशिश कर रहा है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर इनके असर की वैश्विक चिंताओं को स्वभाविक तौर पर बढ़ा दिया है।"
जयशंकर ने आतंकवाद को समर्थन के लिए पाकिस्तान और चीन पर साधा निशाना
पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने कहा, "कोविड आतंकवाद की तरह ही है। जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं होते, तब तक कोई सुरक्षित नहीं है... कुछ देश हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर कर रहे हैं।" वहीं चीन की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "जब हम देखते हैं कि जिन लोगों के हाथ खून से रंगे हुए हैं, उन्हें राजकीय सत्कार दिया जा रहा है, हमें इन दोगलों का भंडाफोड़ करना चाहिए।"
चीन गया था तालिबान का प्रतिनिधिमंडल, विदेश मंत्री से की थी मुलाकात
बता दें कि हाल ही में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल चीन गया था और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने उनसे मुलाकात की थी। जयशंकर इसी मुलाकात की तरफ इशारा कर रहे थे।
तालिबान के कब्जे के बाद भारत के लिए बदल गए हैं समीकरण
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही भारत के लिए सारे समीकरण बदल गए हैं जो अभी तक अफगानिस्तान में लोकतंत्र और विकास को बढ़ावा देने में आगे रहा है। भारत को आशंका है कि तालिबान के आने के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है। भारत के तालिबान से अनाधिकारिक तौर पर बातचीत करने की खबरें भी सामने आई हैं।
अफगानिस्तान में क्या चल रहा है?
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और वह देश में अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है। तालिबान एक ऐसी सरकार बनाने की कोशिश में लगा हुआ है जो अधिकाशं लोगों को स्वीकार्य हो, हालांकि उसने साफ कर दिया है कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं होगा और वह एक परिषद के जरिए देश का शासन चलाएगा। वहीं कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह तालिबान के खिलाफ संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं।