तालिबान ने हजारा समुदाय पर किया अत्याचार, कइयों को तड़पा-तड़पा कर मारा- एमनेस्टी इंटरनेशनल
क्या है खबर?
बदलने और उदार होने का दावा कर रहे तालिबान का असली चेहरा सामने आ गया है और वह अभी भी पहले वाला तालिबान है जो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है।
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के जरिए ये सच्चाई सामने आई है। इसमें बताया गया है कि तालिबान ने जुलाई में गजनी प्रांत पर कब्जे के बाद यहां अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोगों पर अत्याचार किया और कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
तालिबान का अत्याचार
4 से 6 जुलाई के बीच मौत के घाट उतारे 9 हजारा पुरुष
गुरूवार को जारी की गई एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, गजनी प्रांत के मालिस्तान में 4 से 6 जुलाई के बीच 9 हजारा पुरुषों की हत्या की गई। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चश्मदीदों के बयानों और घटना की तस्वीरों की समीक्षा के बाद ये रिपोर्ट जारी की है।
ये मुंदरख्त नामक महज एक गांव का आंकड़ा है और अन्य जगहों पर भी तालिबान के ऐसे ही अत्याचार करने की आशंका है जिनकी रिपोर्ट्स अभी तक सामने नहीं आई हैं।
हमला
खाने-पीने का सामान लेने लाए लोगों पर तालिबान ने बोला धावा
मुंदरख्त के लोगों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि सरकारी बलों और तालिबान के बीच लड़ाई तेज होने पर वे गांव को छोड़कर पहाड़ों की तरफ चले गए थे, लेकिन जब वो खाने-पीने का सामान लेने के लिए अपने घरों की तरफ वापस लौटे तो तालिबान के लड़ाके वहां पहले से ही मौजूद थे।
तालिबान के लड़ाकों ने कुछ पुरुषों को रास्ते में ही घेर लिया और छह की सिर में गोली मारकर हत्या कर दी।
अन्य हत्याएं
तीन लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारा
चश्मदीदों के अनुसार, तालिबान ने अन्य तीन लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारा। एक व्यक्ति की हत्या उसी के रूमाल से उसका गला घोंटकर की गई। तालिबान के आतंकियों ने उसके हाथ की चमड़ी भी उधेड़ दी, वहीं एक अन्य व्यक्ति के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए।
आतंकियों ने एक चश्मदीद से कहा, "जब युद्ध चल रहा हो तो सब मारे जाते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास बंदूक है या नहीं। ये युद्ध का समय है।"
बयान
एमनेस्टी के महासचिव ने कहा- बर्बर हत्याएं डरावने भविष्य का संकेत
एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने इन हत्याओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "ये बर्बर हत्याएं तालिबान के पुराने रिकॉर्ड का सबूत हैं। इनसे ये डरावना संकेत भी मिल सकता है कि तालिबान अपने शासन में क्या-क्या कर सकता है।"
उन्होंने कहा कि निशाना बनाकर की गई ये हत्याएं इस बात का सबूत हैं कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में नस्लीय अल्पसंख्यकों पर क्या-क्या जुल्म हो सकते हैं।
बयान
मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण सामने नहीं आईं खबर- एमनेस्टी
एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान के नियंत्रण वाले कई इलाकों में मोबाइल के नेटवर्क नहीं आते हैं और इसलिए इन हत्याओं से जुड़ी जानकारी सामने नहीं आई। उसने संयुक्त राष्ट्र (UN) से मामले की जांच करने को कहा है।
परिचय
कौन होते हैं हजारा लोग?
हजारा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रहने वाला एक अल्पसंख्यक समुदाय है और ये शिया इस्लाम को मानते हैं। अफगानिस्तान में वे तीसरे सबसे बड़े नस्लीय समूह हैं।
सुन्नी बहुल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हजारा समुदाय पर दशकों से अत्याचार होते आ रहे हैं। तालिबान भी एक सुन्नी आतंकी संगठन है और वह भी हजारा समुदाय पर अत्याचार करता है।
1996-2001 के अपने पहले शासन में तालिबान ने सैकड़ों हजारा लोगों को मौत के घाट उतारा था।