IS ने तालिबान को कहा 'अमेरिका का पिट्ठू', सोशल मीडिया पर तेज किया हमला
क्या है खबर?
दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने तालिबान को 'अमेरिका का पिट्ठू' कहा है और उसके मीडिया चैनलों ने इंटरनेट पर तालिबान के खिलाफ एक अभियान शुरू कर दिया है।
16 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस अभियान में तेजी आई है और उस पर जिहाद को कमजोर करने के लिए अमेरिका का साथ देने का आरोप लगाया गया है।
IS ने तालिबान के बदलने की बात भी कही है।
बयान
IS ने कहा- अफगानिस्तान में जो हुआ, वो तालिबान नहीं अमेरिका की जात
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद IS ने सबसे पहले 19 अगस्त को आधिकारिक प्रक्रिया दी थी और एक संपादकीय लिखते हुए तालिबान पर निशाना साधा था।
इसमें तालिबान को अमेरिका का पिट्ठू बताते हुए IS ने कहा था कि अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ है, वो तालिबान नहीं अमेरिका की जीत है क्योंकि तालिबान इस विचार को आगे बढ़ाने में सफल हो गया है कि चरमपंथी समूहों के लिए आगे का रास्ता बातचीत से होकर जाता है।
इंटरनेट
IS ने सोशल मीडिया पर भी तेज की तालिबान के खिलाफ मुहिम
IS ने सोशल मीडिया और इंटरनेट पर भी तालिबान के खिलाफ मुहिम तेज कर दी है और 16 अगस्त से अब तक वह तालिबान के खिलाफ 22 प्रोपगैंडा लेख या वीडियो प्रकाशित कर चुका है।
IS के संपादकीय से पहले उसके प्रचारक इंटरनेट पर मुख्य तौर पर तालिबान के कथित धार्मिक उल्लंघनों का विरोध कर रहे थे और इसके लिए उन्होंने हजारा शिया जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति तालिबान के "नरम व्यवहार" का सहारा लिया था।
बदलाव
संपादकीय के बाद बदला प्रचारकों का रूख
19 अगस्त को IS के संपादकीय के बाद इंटरनेट पर उसके प्रचारकों ने भी रुख बदल लिया और तालिबान पर अमेरिका के इशारों पर काम करने का आरोप लगाए।
इनमें कहा गया है कि अब तालिबान वह समूह नहीं है जो 20 साल पहले मुल्ला उमर के नेतृत्व में था। उनके अनुसार, तालिबान अब बदल गया है और जिहाद को कमजोर करने की अमेरिकी योजना को गुप्त रूप से लागू कर रहा है।
वीडियो
इस्लामिक खिलाफत की स्थापना को रोक रहा अमेरिका- IS आतंकी
एक वीडियो में IS आतंकी ने कहा है कि अमेरिका नए तालिबान के माध्यम से इस्लामिक खिलाफत की स्थापना को रोकने की अपनी योजना को लागू करना चाहता है। उसक अनुसार, इससे अमेरिका को अफ्रीका, इराक, सीरिया और पूर्वी एशिया में IS से लड़ने में आसानी होगी।
IS ने इस बात पर भी संदेह जारी किया है कि तालिबान कभी भी अफगानिस्तान में शरिया को पूरी तरह से लागू कर पाएगा।
आतंकी ताकतें
अफगानिस्तान में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है IS
बता दें कि IS काफी समय से अफगानिस्तान में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है, हालांकि वो इसमें कामयाब नहीं रहा है।
तालिबान के साथ वार्ता में अमेरिका ने उसके सामने IS और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान में पनाह न देने की शर्त भी रखी थी। तालिबान भी अभी तक सार्वजनिक तौर पर IS के खिलाफ बयान देता रह है औ इसी कारण अब IS ने उसे अमेरिका का पिट्ठू कहा है।