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    दुनियाभर में मौजूद पक्षियों की 48 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी में आई गिरावट- अध्ययन
    दुनियाभर में मौजूद पक्षियों की 48 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी में आई गिरावट।

    दुनियाभर में मौजूद पक्षियों की 48 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी में आई गिरावट- अध्ययन

    लेखन भारत शर्मा
    May 08, 2022
    06:19 pm

    क्या है खबर?

    प्रकृति में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप और जलावायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में मौजूद पक्षियों की कुल प्रजातियों में से 40 प्रतिशत की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है।

    इसी तरह 39 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी स्थिर है और महज छह प्रतिशत की आबादी में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा सात प्रतिशत प्रजाति विलुप्त हो गई है।

    मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में पक्षियों की प्रजातियों पर किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

    खुलासा

    पिछले 30 सालों में आई पक्षियों की आबादी में गिरावट

    पर्यावरण और संसाधनों की वार्षिक समीक्षा में 5 मई को 'स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स' नाम से प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 30 सालों में वैश्विक स्तर पर पक्षियों की आबादी में लगातार गिरावट आई है।

    रिपोर्ट के अनुसार, प्राकृतिक दुनिया में मानवीय हस्तक्षेप लगातार बढ़ा है और इससे प्राकृतिक आवासों में कमी आई है। इसके साथ ही कई प्रजातियों के पक्षियों का अत्यधिक शिकार भी उनकी घटती आबादी का कारण रहा है।

    कारण

    पक्षियों की आबादी में कमी का बड़ा कारण बनकर उभरा है जलवायु परिवर्तन- रिपोर्ट

    अध्ययन की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को पक्षियों की आबादी में गिरावट के उभरते प्रमुख कारणों के रूप में इंगित किया गया है। फरवरी 2020 में 10 सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की साझेदारी द्वारा जारी स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स (SOIB) रिपोर्ट के परिणाम भी इस वैश्विक मूल्यांकन में शामिल हैं।

    यूरोप, उत्तरी अमेरिका और भारत में जहां जलवायु परिवर्तन को पक्षियों की आबादी में गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

    बयान

    उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है एवियन प्रजाति की आबादी में विविधता- अलेक्जेंडर

    मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के सीनियर लेक्चरर और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ अलेक्जेंडर लीस ने कहा, "वैश्विक स्तर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में एवियन प्रजाति की आबादी में सबसे अधिक विविधता है और वहां खतरे वाली प्रजातियों की आबादी बहुत अधिक है।"

    उन्होंने कहा, "हम समशीतोष्ण पक्षियों की तुलना में उष्णकटिबंधीय पक्षी प्रजातियों के बारे में बहुत कम जानते हैं, लेकिन अब हम महाद्वीपीय स्तर पर पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने की नई लहर देख रहे हैं।"

    जानकारी

    कौन-कौनसी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन?

    अध्ययन में मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, बर्डलाइफ इंटरनेशनल, जोहान्सबर्ग यूनिवर्सिटी, पोंटिफिकल जेवियरियन यूनिवर्सिटी और भारत के प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन के शोधकर्ता शामिल थे। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संघ के डाटा का उपयोग कर दुनियाभर में पक्षियों की 11,000 प्रजातियों की आबादी की समीक्षा की है।

    रिपोर्ट

    SOIB ने किया था 146 प्रजातियों का अध्ययन

    बता दें कि इस अध्ययन में शामिल SOIB की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 146 प्रजातियों पर अध्ययन किया गया था। उसमें सामने आया था कि 80 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी में गिरावट आई है और उनमें से 50 प्रतिशत की आबादी बड़ी तेजी के कम हुई है।

    इसी तरह छह प्रतिशत से अधिक की आबादी स्थिर थी और 14 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी में इजाफा देखा गया था। ऐसे में घटती आबादी चिंता का विषय है।

    खतरा

    खतरे के रूप में उभरे हैं ये देश

    अध्ययन के अनुसार, उत्तरी अमेरिका, यूरोप और भारत में देखे जाने वाले उष्णकटिबंधीय जंगलों के साथ प्राकृतिक घास के मैदानों में तेजी से कमी आई है। ऐसे में ये देश विशेष रूप से पक्षियों के लिए खतरें के रूप में उभरे हैं।

    भारत के नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के शोधकर्ता डॉ अश्विन विश्वनाथन ने कहा, "पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए आवश्यक घास के मैदानों और उष्णकटिबंधीय जंगलों को बचाना है तो सरकारों और अनुसंधान समूहों दोनों को प्रयास करने होंगे।"

    डाटा

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    बता दें कि ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स के पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो कोरी कैलेगन और उनकी टीम द्वारा पिछले साल की गई पक्षियों की गणना के अनुसार, दुनियाभर में पक्षियों की कुल 9,700 प्रजातियों के 5,000 करोड़ से अधिक पक्षी है।

    हालांकि, इस आबादी में 20 प्रतिशत हिस्सा चार प्रजातियों का ही है। इसी तरह 1,180 प्रजातियों में केवल 5,000-5,000 पक्षी ही बचे हैं। ऐसे में ये प्रजातियां विलुप्त होने की ओर बढ़ रही है।

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