सुप्रीम कोर्ट की समिति ने बताया आखिर कितनी होती है एक पेड़ की कीमत
क्या है खबर?
अगर आप पेड़ की आर्थिक कीमत जानना चाहते हैं तो यह 74,500 रुपये प्रति वर्ष होती है। यानी पेड़ जितने साल पुराना है, उसको 74,500 रुपये से गुणा कर लें। अब जो रकम आती है, वह उस पेड़ की आर्थिक कीमत है।
अभी से पहले भारत में एक पेड़ की आर्थिक कीमत का पता लगाना मुश्किल था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति ने पेड़ों की कीमत को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दी है।
रिपोर्ट
एक करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है 100 साल पुराने पेड़ की कीमत
समिति ने कहा कि 100 साल से अधिक पुराने पेड़ की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
इस हिसाब से कई बार जिस प्रोजेक्ट के लिए सैकड़ों पेड़ काटे जाते हैं, वह पूरा प्रोजेक्ट काटे जाने वाले पेड़ों की आर्थिक और पर्यावरणीय कीमत से कम का होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन और दूसरे फायदों के आधार पर कीमत का पता लगाने के लिए समिति गठित की थी।
पेड़ों की कीमत
सिर्फ लकड़ी के दामों से तय नहीं की जा सकती पेड़ की कीमत
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस समिति ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े वाली बेंच को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
बेंच ने कहा कि पेड़ों की कीमत सिर्फ उनसे मिलने वाली लकड़ी के दामों के आधार पर नहीं लगाई जा सकती। इसके लिए पेड़ों से होने वाले फायदों को भी देखने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पांच रेलवे ओवरब्रिज के लिए काटे जाने वाले 365 पेड़ों से जुड़े की मामले की सुनवाई के दौरान समिति बनाई थी।
समिति
ये लोग थे समिति में शामिल
इस समिति में टाइगर एन्वायरमेंट सेंटर के प्रबंधक निदेशक निशिकांत मुखर्जी, सेंटर ऑफ साइंस फॉर विलेज के सचिव सोहम पांड्या, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की निदेशक सुनीता नारायण, पश्चिम बंगाल सरकार में रेलवे ओवरब्रिज यूनिट के सहायक मुख्य इंजीनियर विकास कुमार माजी और 24 उत्तरी परगना के डिविजन फॉरेस्ट ऑफिसर निरंजित मित्रा को शामिल किया गया था।
समिति ने पिछले साल फरवरी में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी, लेकिन अब इसे सार्वजनिक किया गया है।
रिपोर्ट
हर साल 45,000 रुपये की ऑक्सीजन देता है एक पेड़- समिति
समिति ने कहा है कि एक पेड़ की साल की आर्थिक कीमत 74,500 रुपये होती है। इनमें से 45,000 रुपये सिर्फ ऑक्सीजन और 20,000 रुपये जैव उर्वरकों के होते हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्व और खाद को मिला दें तो कई पेड़ों के दाम उन प्रोजेक्ट्स की कीमत से ज्यादा हो जाते हैं, जिसके लिए इन्हें काटा जाता है।
पश्चिम बंगाल के पेड़ काटने के प्रस्ताव पर समिति ने कहा कि इन पेड़ों की कुल कीमत 220 करोड़ रुपये होती है।
समिति की सिफारिश
कोर्ट ने अभी तक स्वीकार नहीं की सिफारिशें
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक यह रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है और केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और मामले में शामिल एक NGO से प्रतिक्रिया मांगी है।
कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा, "समिति की सिफारिशें सरकारों को दिवालिया कर देंगी। इसलिए हमें कुछ सुझावों में सुधार की जरूरत है।"
समिति ने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा है पेड़ों को काटने की बजाय उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
जानकारी
दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने प्रयासों के लिए समिति की सराहना करते हुए कहा कि इसने भविष्य के प्रोजेक्टों के लिए कई गाइडलाइंस तय की है। अब दो सप्ताह बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी, तब तक संबंधित पक्षों के जवाब आ जाएंगे।