रूस के तेल और गैस पर कितनी निर्भर है दुनिया?
अमेरिका ने रूस से तेल, गैस और ऊर्जा के आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है। वहीं यूरोपीय संघ और ब्रिटेन भी ऐसे कदम उठाने का ऐलान कर चुके हैं। इन देशों का यह ऐलान रूस की उस चेतावनी के बाद आया था, जिसमें उसने कहा कि अगर तेल आयात रोका गया तो वह यूरोप की गैस आपूर्ति रोक देगा। आइये जानते हैं कि रूस की तेल और गैस पर दुनिया की कितनी निर्भरता है।
किस देश ने तेल और गैस आयात पर पाबंदी लगाई?
अमेरिका ने रूस से तेल, गैस और ऊर्जा लेने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है। अमेरिका के इस प्रतिबंध का उद्देश्य यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डालना है। इसी तरह ब्रिटेन ने कहा है कि वह साल के अंत तक रूस के तेल पर अपनी निर्भरता खत्म कर लेगा। वहीं यूरोपीय संघ ने अपने तेल आयात को दो तिहाई तक कम करने का फैसला किया है।
रूस कितना तेल विदेशों में निर्यात करता है?
BBC के अनुसार, अमेरिका और सऊदी अरब के बाद रूस तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। रूस रोजाना करीब 50 लाख बैरल (एक बैरल में लगभग 159 लीटर) कच्चा तेल निर्यात करता है, जिसमें से आधे से ज्यादा यूरोप में जाता है। तेल के मामले में अमेरिका की रूस पर निर्भरता कम है। 2020 में अमेरिका ने कुल आयात का 3 प्रतिशत तेल ही रूस से खरीदा था।
रूस के आयात का विकल्प क्या हो सकता है?
अमेरिका ने तेल की कीमतें कम रखने के लिए सऊदी अरब से तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा था, लेकिन उसने मना कर दिया। सऊदी अरब तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC में सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। रूसOPEC का सदस्य नहीं है, लेकिन वह मुनाफा बनाए रखने के लिए 2017 से OPEC के साथ काम कर रहा है। अमेरिका अब वेनेजुएला से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रहा है, जो उसका प्रमुख तेल उत्पादक देश होता था।
रूस ने अगर यूरोप को गैस नहीं दी तो क्या होगा?
यूरोप अपने कुल आयात में 40 प्रतिशत प्राकृतिक गैस रूस से लेता है। अगर इसकी आपूर्ति रूकती है तो गैस की कीमतों में और उछाल आएगा। रूस की तरफ से आपूर्ति रुकने पर सबसे ज्यादा असर इटली और जर्मनी पर पड़ेगा। इस स्थिति में यूरोप कतर, अल्जीरिया और नाइजीरिया की तरफ रूख कर सकता है, लेकिन यह सब होने में लंबा समय लगेगा। ब्रिटेन अपनी जरूरत की गैस का 5 प्रतिशत आयात रूस से करता है।
गैस आपूर्ति रुकने पर क्या विकल्प रहेगा?
जानकारों का कहना है कि अगर रूस गैस की आपूर्ति रोक देता है तो यूरोपीय देश अमेरिका से लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) का आयात बढ़ा सकते हैं। साथ ही ये देश दूसरे ऊर्जा स्त्रोतों की तरफ जा सकते हैं, लेकिन यह सब जल्दी नहीं होने वाला। कुछ विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि इटली और जर्मनी की आपातकाल स्थिति में कोयला संयंत्र खोलने की योजना का दूसरे देश भी अनुसरण कर सकते हैं।
आम लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
रूस ने चेतावनी दी है कि उसके तेल आयात पर रोक लगाने से वैश्विक बाजार पर भयानक दुष्परिणाम होंगे। युद्ध के चलते पहले ही तेल और गैस की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं और अगर रूस निर्यात रोक देता है तो ये रिकॉर्ड स्तर को छू सकती है। कच्चा तेल महंगा होने का मतलब है कि लोगों को पेट्रोल और डीजल के लिए भी अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी और इससे महंगाई भी बढ़ेगी।