अफगानिस्तान संकट से निपटने में भारत की होगी अहम भूमिका- ब्रिटेन

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अब तालिबान वहां अंतरिक सरकार के गठन की तैयारी कर रहा है। इसी बीच हजारों की संख्या में लोग वहां से निकलने की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में वहां के हालात बेहद तनावपूर्ण नजर आ रहे हैं। इसी बीच ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि अफगानिस्तान में उभरे संकट से निपटने में संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति की बेहद अहम भूमिका होगी और इस क्षेत्र में भारत, ब्रिटेन का प्रमुख साझेदार है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा कि आगे का रास्ता किसी ना किसी रूप में अंतर्राष्ट्रीय "संपर्क समूह" का निर्माण सुनिश्चित करने का होगा। जिससे कि अफगानिस्तान का उपयोग कभी भी ब्रिटेन या उसके सहयोगियों के खिलाफ आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जा सके। बता दें कि दुनिया के विदेश रणनीतिकारों का मानना है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन सकता है।
NDTV के अनुसार, राब ने कहा, "मेरा मानना है कि यह सब करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि न केवल एक जैसी सोच वाले देशों के व्यापक समूह बनाया जाए बल्कि ऐसे साझेदारों के साथ मिलकर काम करना होगा, जो अधिक से अधिक प्रभाव का इस्तेमाल कर सकें। हालांकि, इसमें चीन और रूस के साथ भारत को शामिल करना आसान नहीं होगा।" उन्होंने कहा कि तालिबान के कदम ने पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है।
राब ने कहा, "सवाल है कि हम अपने प्रभावी साधनों का उपयोग कैसे करते हैं और आने वाले शासन के प्रभाव को कम करने की कोशिश करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सदस्य के रूप में काम करना होगा।" उन्होंने कहा, "ना केवल अपने G7 सहयोगियों बल्कि प्रमुख पड़ोसियों एवं क्षेत्रीय देशों के साथ भी काम करना होगा। इनमें चीन, रूस और पाकिस्तान भी शामिल हैं और भारत इसमें अहम भूमिका निभाएगा।"
तालिबान शासन से निपटने को लेकर उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों जैसी चीजों पर मजबूत समन्वय से काम करना होगा। भारत संयुक्त राष्ट्र में बहुत महत्वपूर्ण है। चीन उनके लिए एक मुश्किल भागीदार है, लेकिन हमारे पास सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के रूप में साझा हित मौजूद है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और गृह सचिव प्रीति पटेल अफगानिस्तान में जरूरतमंद लोगों की पुनर्वास योजना पर काम कर रहे हैं।
राब ने कहा, "पुनर्वास योजना में सबसे पहले सबसे कमजोर लोगों और विशेष रूप से महिलाओं और युवतियों की मदद पर फोकस किया जाएगा। प्रधानमंत्री जॉनसन अफगानिस्तान में सामने आने वाले संकट के लिए एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर जोर दे रहे हैं।"
तालिबान ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद राष्ट्रपति अशरफ देश छोड़कर ओमान चले गए थे। विद्रोहियों ने राजधानी पहुंचने और सत्ता के शांतिपूर्ण परिवर्तन की मांग करने से पहले कुछ ही दिनों में कई प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया था। सोमवार को काबुल हवाईअड्डे पर हृदयविदारक दृश्य देखने को मिले थे। हजारों लोग वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे। अलग-अलग हादसों में कई लोगों की मौत हो गई।