जानें कौन हैं ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और क्या हैं उनके सामने मुख्य चुनौतियां

ब्रेक्जिट पर जारी संकट के बीच बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनेंगे। सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के हुए चुनाव में जॉनसन ने अपने प्रतिद्वंदी जेरेमी हंट को मात दी। पार्टी के 1.6 लाख सदस्यों में से 92,153 के वोट जॉनसन को प्राप्त हुए, जबकि हंट को 46,656 वोट मिले। वह बुधवार को थेरेसा मे की जगह लेंगे, जो 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में आखिरी प्रश्न काल में हिस्सा लेने के बाद महारानी एजिलाबेथ को अपना इस्तीफा सौंप देंगी।
ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह के बाद देश की कमान संभालने वाले जॉनसन तीसरे प्रधानमंत्री होंगे। सबसे पहले ब्रेक्जिट के पक्ष में जनमत संग्रह आने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने जुलाई 2016 में इस्तीफा दिया था, जिसके बाद थेरेसा मे प्रधानमंत्री बनी थीं। थेरेसा ने 3 साल में तीन बार संसद के सामने ब्रेक्जिट डील पेश की, लेकिन हर बार संसद ने इसे नकार दिया। इसका बाद मई 2019 में उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान किया था।
55 वर्षीय जॉनसन की छवि एक बेहद महत्वाकांक्षी लेकिन अनियमित नेता की है और उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं। वह दो बार लंदन के मेयर रह चुके हैं। उनके मंत्रिमंडल में भारतीय मूल के कुछ सांसदों को भी जगह मिल सकती है।
जॉनसन के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती ब्रेक्जिट की ही होगी। उन्हें 3 महीने के अंदर ब्रेक्जिट डील पर अपने "करो या मरो" के वादे को पूरा करना होगा। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले बयान में जॉनसन ने भी इसी बात पर जोर दिया। हंट और थेरेसा समेत अन्य लोगों को धन्यवाद कहते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के तौर पर वह ब्रेक्जिट के वादे को पूरा करेंगे, देश को एकजुट करेंगे और विपक्षी लेबर पार्टी को हराएंगे।"
इस बीच प्रधानमंत्री के तौर पर कई बड़े राजनीतिक संकट उनका इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा सरकार के कई मंत्री उनके नीचे काम करने से इनकार कर सकते हैं और सबसे पहले उन्हें नया मंत्रिमंडल बनाना होगा। इसके अलावा ब्रिटिश सांसदों ने बिना किसी डील के ब्रेक्जिट की कोशिश करने वाली हर सरकार को गिराने का बीड़ा उठा रखा है। ऐसे में उनके लिए इन परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाना बेहद मुश्किल होगा।
वहीं, कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार निचले सदन यानि हाउस ऑफ कॉमन्स में मात्र दो सांसदों के अंतर से बहुमत में है। अगर पार्टी गुरुवार को वेल्स की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव हार जाती है, तो ये बहुमत और घट सकता है। बहुमत बचाने की ये चुनौती जॉनसन की सबसे पहली परीक्षा होगी। बता दें कि हाउस ऑफ कॉमन्स भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा की तरह है, यहां लोग अपने प्रतिनिधि सीधे चुनकर भेजते हैं।
ब्रेक्जिट का मतलब है ब्रिटेन (UK) का EU से बाहर निकलना। संघ से बाहर निकलने के प्रस्ताव पर UK में 23 जून, 2016 को जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें मतदाताओं ने 48.1 के मुकाबले 51.9 प्रतिशत वोटों से EU छोड़ने का फैसला किया था। EU 28 यूरोपीय देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के लिए बना संगठन है। EU में शामिल देशों में लोग और सामान बिना किसी रुकावट के आ-जा सकते हैं।