काबुल बम धमाके: अमेरिकी सैनिकों समेत 72 लोगों की मौत, बाइडन बोले- हमलावरों को छोड़ेंगे नहीं
गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे के बाहर हुए दो बम धमाकों में मरने वालों का आंकड़ा 72 पहुंच गया है और 140 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों में बच्चों, आम नागरिकों के अलावा अमेरिकी सैनिक और मेडिकलकर्मी भी शामिल हैं। इस्लामिक स्टेट खोरासन (ISIS-K) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। तालिबान ने हमले की निंदा की है वहीं अमेरिका ने कहा है कि वो इस हमले के जिम्मेदार लोगों को छोड़ेगा नहीं।
हवाई अड्डे के गेट के बाहर हुए धमाके
गुरुवार शाम को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में दो जोरदार धमाके हुए थे। पहला धमाका हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के एबी गेट और दूसरा धमाका गेट से थोड़ी दूर स्थित एक होटल के पास हुआ था। बता दें कि काबुल हवाई अड्डे के पास इन दिनों देश छोड़ना चाह रहे लोगों की भीड़ रहती है। खुफिया एजेंसियों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी हवाई अड्डे के आसपास हमले कर सकते हैं।
इस्लामिक स्टेट बोला- अमेरिका और अफगान के मददगारों को बनाया निशाना
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों में बच्चे, महिलाएं, आम नागरिक और अमेरिकी सैनिक शामिल हैं। धमाके में तालिबान के कुछ लड़ाके भी घायल हुए हैं। तालिबान ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि ये धमाके अमेरिकी बलों के नियंत्रण वाले इलाके में हुए हैं। काबुल में हुए धमाकों की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली है। आतंकी समूह ने बताया कि यह आत्मघाती हमला अमेरिका और अफगानिस्तान के मददगारों को निशाना बनाकर किया गया था।
2011 के बाद अमेरिकी सैनिकों पर सबसे बड़ा हमला
अमेरिकी सैनिकों पर 2011 के बाद अफगानिस्तान में यह सबसे बड़ा हमला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धमाकों में 13 अमेरिकी सैन्य कर्मियों की मौत हुई है। 2011 में वारदाक प्रांत में हेलिकॉप्टर पर हुए हमले में 30 सैनिक मारे गए थे।
बाइडन बोले- हमला करने वालों को छोड़ेंगे नहीं
काबुल में हुए हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, "इस हमले के पीछे जिम्मेदार लोगों को हम ढूंढ निकालेंगे और उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। हम उन्हें न तो भूलेंगे और न ही माफ करेंगे। आतंकवादी हमें काम करने से नहीं रोक सकते। हम काबुल में अपना मिशन नहीं रोकेंगे और लोगों को सुरक्षित अफगानिस्तान से निकालना जारी रखेंगे।"
भारत समेत कई देशों ने की हमले की निंदा
भारत समेत दुनियाभर के देशों ने इस हमले की निंदा की है। भारत ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि इन धमाकों ने एक बार फिर उस आवश्यकता को उजागर किया है कि आतंक के विरुद्ध दुनिया को एक साथ आने की जरूरत है। ब्रिटेन ने हमले को कायराना हरकत बताते हुए कहा कि यह ब्रिटेन को अफगानिस्तान में अपना काम करने से नहीं रोक सकती। फ्रांस ने भी हमले की आलोचना की है।
नॉर्वे ने रोका निकासी अभियान
जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने कहा कि हमलावरों ने काबुल छोड़ रहे लोगों को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि जर्मनी 31 अगस्त के बाद भी देश छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद करेगा। वहीं नॉर्वे ने इस हमले के बाद अपना निकासी अभियान बंद कर दिया है। नॉर्वे के विदेश मंत्री ने कहा कि हवाई अड्डे के दरवाजे बंद हो गए हैं और अब लोगों को अंदर लाना मुमकिन नहीं है।
काबुल से लोगों को निकाल रहे हैं कई देश
तालिबान के कब्जे के बाद से भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई देश अफगानिस्तान के लोगों को वहां से निकाल रहे हैं। अमेरिका ने बताया कि अब तक एक लाख से अधिक लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। अफगानिस्तान में अमेरिका का सैन्य अभियान 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है इसलिए वह जल्द से जल्द अधिक लोगों को बाहर निकालना चाहता है। तालिबान इस समयसीमा को आगे बढ़ाने के खिलाफ है।