अफगानिस्तान में प्रताड़ित 11 सिख दिल्ली पहुंचे, कहा- भारत में घर जैसा महसूस होता है
अफगानिस्तान के काबूल में चार महीने पहले एक गुरुद्वारा पर हुए हमले में 27 सिखों की मौत के बाद प्रताड़ना से दुखी 11 सिख सोमवार को दिल्ली पहुंच गए। चयनित सिखों को काबुल में भारतीय दूतावास द्वारा अल्पकालिक वीजा दिया गया था। लौटने वाले सिखों में से एक ने कहा कि उन्हें भारत में घर जैसा महसूस होता है। भारत पहुंचने वालों में एक 15 वर्षीय किशोरी भी है, जिसे जबरन शादी और धर्मांतरण से बचाया गया था।
ISIS ने काबुल में गुरुद्वारे पर किया था हमला
25 मार्च को काबुल के शोर बाजार स्थित एक गुरुद्वारे पर ISIS से जुड़े आतंकवादियों ने हमला किया था। सशस्त्र हमलावरों द्वारा गुरुद्वारा पर हमला करने के दौरान वहां करीब 150 लोग मौजूद थे। हमले के कुछ दिनों बाद एक पाकिस्तानी नागरिक मावलवी अब्दुल्ला उर्फ इस्लाम फारूकी और उसके चार सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। भारत ने हमले की निंदा की और पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का आह्वान किया था।
हमले के बाद सैकड़ों सिखों ने शाह से की थी उन्हें निकालने की अपील
हमले के बाद 700 से भी कम संख्या वाले अफगान सिख समुदाय ने भारतीय दूतावास और गृह मंत्री अमित शाह को लिखा था। इस महीने काबुल में गुरुद्वारा दशमेश पीता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दरबार कटार परवन के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से सिख समुदाय के 11 लोगों को छह महीने के लिए वीजा दिया गया है। उन्हें वंदे भारत मिशन के तहत काम एयर की उड़ान पर दिल्ली लाया गया है।
विदेश मंत्रालय ने सुरक्षित वापसी में सहयोग के लिए अफगानिस्तान सरकार को दिया धन्यवाद
वीजा की पुष्टि करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत ने उचित वीजा प्रदान किया है और उनकी भारत यात्रा को सुविधाजनक बनाया है। हम इन परिवारों की सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान करने में अफगानिस्तान सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं।"
घायल बेटी को लेकर आया पिता, इलाज की उम्मीद
भारत पहुंचने वाले एक गुरजीत सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कि उसकी आठ वर्षीय बेटी हमले में घायल हो गई। उसकी आंख में गहरी चोट आई थी। उसने कहा कि उसकी बेटी की आंख में छर्रे लग गए थे, जिसका तीन महीने से इलाज चल रहा है। उसे उम्मीद है कि वह उसका इलाज करवा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमले में उसने अपने दो चचेरे भाइयों को खो दिया। उन्हें भारत घर की तरह लगता है।
गुरुद्वारे से अगवा किया गया शख्स भी लौटा दिल्ली
दिल्ली पहुंचने वालों में सिख समुदाय का एक अन्य शख्स निदान सिंह सचदेवा (55) भी शामिल है। लंबी अवधि के वीजा पर दिल्ली में रहने वाले एक अफगानी नागरिक सचदेवा का जून में चम्कानी के थला श्री गुरु नानक साहिब गुरुद्वारे से अपहरण कर लिया गया था। उसे पिछले महीने ही रिहा किया गया था। उसे बंदी बनाए जाने के बाद उसके परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और भारतीय नागरिकता देने की मांग की थी।
हमले में बेटों को खोने वाली 70 वर्षीय वृद्धा भी पहुंची
आतंकी हमले में अपने दो बेटे और छह रिश्तेदारों को खोने वाली 70 वर्षीय बलवंत कौर भी दिल्ली पहुंच गई है। वह उसी 15 वर्षीय किशोरी की दादी है, जिसे जबरन इस्लाम में कुबूल करने से बचाया गया था। उसे लेने आए एक रिश्तेदार ने बताया कि हमलावरों के घुसने पर कौर के बेटे अरदास कर रहे थे। हालांकि, इस घटना ने उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया, लेकिन उसने मुस्कुरा कर भारत पहुंचने की खुशी व्यक्त की।
सिरसा ने जताया सिखों को जल्द ही नागरिकता मिलने का भरोसा
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान में रहने वाले अधिकतर सिखों को काबुल से लाया जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। गौरतलब है कि भारतीय संसद ने बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ना का शिकार हो रहे सिखों, हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों को नागरिकता देने के लिए इस साल नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित किया था।