#NewsBytesExplainer: क्या राजनीतिक फायदे के लिए निज्जर मामले को हवा दे रहे हैं जस्टिन ट्रूडो?
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा में तनाव अपने चरम पर है। दोनों देशों के संबंध अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इस पूरे मामले को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के वोटबैंक और राजनीति में उनके गिरते प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। कनाडा में एक साल बाद चुनाव होने हैं। जानते हैं निज्जर मामले का ट्रूडो के राजनीतिक सफर पर कितना असर होगा।
अनुमानों में ट्रूडो की हार के आसार
कनाडा में अगले साल होने वाले चुनावों से पहले अनुमानों में ट्रूडो की वापसी बेहद मुश्किल बताई जा रही है। CBC न्यूज पोल ट्रैकर में ट्रूडो की लिबरल पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी से करीब 20 प्रतिशत अंकों से पीछे चल रही है। खुद ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग 33 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं, उनके विपक्षी नेता पीयर पोयलिवरा उनसे कहीं आगे चल रहे हैं। जानकारों का मानना है कि लिबरल पार्टी की जीत की कोई संभावना नहीं है।
उपचुनाव में ट्रूडो की पार्टी को मिली करारी हार
हाल ही में कनाडा की टोरंटे और मॉन्ट्रियल सीट पर उपचुनाव हुए थे। दोनों ही जगह ट्रूडो की लिबरल पार्टी के उम्मीदवार हार गए हैं। ट्रूडो के लिए ये बड़ा झटका था, क्योंकि टोरंटो सीट पर 30 साल से लिबरल पार्टी काबिज थी। वहीं, मॉन्ट्रियल भी लिबरल का गढ़ माना जाता है। इसके बाद कम से कम 20 सांसदों ने ट्रूडो के इस्तीफे की मांग करने वाले एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं।
अल्पमत में है ट्रूडो की सरकार
ट्रूडो अल्पमत की सरकार चला रहे हैं, क्योंकि इसी साल सितंबर में जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब जगमीत ने कहा था, "लिबरल बहुत कमजोर हैं, बहुत स्वार्थी हैं और लोगों के लिए लड़ने के लिए कॉर्पोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं। वे बदलाव नहीं ला सकते।" इसके बाद 2 बार ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन जैसे-तैसे सरकार बच गई।
कनाडा में अहम वोटबैंक है सिख समुदाय
2021 में कनाडा की 2.1 प्रतिशत आबादी सिख थी। इसका आधे से ज्यादा हिस्सा टोरंटो और ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर के आसपास रहता है। कनाडा के सिखों के पास संगठनात्मक कौशल है, गुरुद्वारों का बड़ा नेटवर्क है और 23-24 सीटों पर प्रभाव है। यही वजह है कि ट्रूडो इस वोटबैंक को साधने की कोशिश में है। 2015 में जब ट्रूडो प्रधानमंत्री बने थे, तब 17 सिख उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
क्या निज्जर विवाद से ट्रूडो को राजनीतिक फायदा होगा?
वरिष्ठ कनाडाई पत्रकार टेरी माइलवस्की ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "ब्रिटिश कोलंबिया और ओंटारियो में 5-6 निर्वाचन क्षेत्र में सिखों की बड़ी संख्या है और वे चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। कनाडा के राजनीतिक दल वोट हासिल करने के लिए समुदाय के समर्थन पर निर्भर रहते हैं। इनमें से कई नेताओं में अलगाववादी तत्वों के प्रति सहानुभूति है। ब्रिटिश कोलंबिया और ओंटारियो में खालिस्तानियों का कई गुरुद्वारों पर नियंत्रण है।"
ट्रूडो के लिए ये भी हैं चुनौतियां
ट्रूडो के लिए घरेलू राजनीति में भी समस्याएं कम नहीं हैं। कोरोना काल के बाद से ही कनाडा के नागरिकों में असंतोष देखने को मिल रहा है। घर खरीदने की महंगी दरें, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतें, अपराध, खराब होती स्वास्थ्य सेवा और अप्रवासियों के मुद्दे पर ट्रूडो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अगस्त में ट्रूडो का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक स्टील कर्मचारी ने महंगाई को लेकर उनसे हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था।