दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले 50,000 पार, अमेरिका और यूरोप में संक्रमण की रफ्तार घटी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के कुल मामलों की संख्या 50,000 से पार हो गई है। राहत की बात यह है कि इस बीमारी के हॉटस्पॉट बने अमेरिका और यूरोप में इसकी रफ्तार धीमी होने लगी है। WHO के पास इस साल अब तक मंकीपॉक्स के 50,496 मामले और इसके कारण हुई 16 मौतें दर्ज हुई हैं। जुलाई में इस बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ये सबसे पहले 1958 में बंदरों की एक बस्ती में मिला था और वहीं से इसे अपना नाम मिला है। यह धीरे-धीरे म्यूटेट होने वाला DNA वायरस है। इसके लक्षण दिखने में संक्रमित होने के बाद 5 से 21 दिनों तक का समय लग सकता है।
रोका जा सकता है संक्रमण- WHO प्रमुख
WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस एधेनोम गैब्रेयेसस ने कहा कि नए मामलों में आ रही गिरावट बताती है कि संक्रमण को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड आदि देशों में नए मामले कम हो रहे हैं। यह जनस्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों और समुदायिक तौर पर किए प्रयासों के प्रभाव को दिखाता है। यह शुरू से ही कहा जा रहा है कि सही उपायों के साथ इस संक्रमण पर रोक लगाई जा सकती है।
इन तीन कदमों से रोका जा सकता है मंकीपॉक्स- डॉ टेड्रोस
डॉ टेड्रोस ने कहा कि मंकीपॉक्स को खत्म करने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं। पहली है कि इसके सबूत होने चाहिए कि इसे रोका जा सकता है। दूसरी राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता और तीसरी चीज है जनस्वास्थ्य के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदम।
101 क्षेत्रों में दर्ज हो चुके मामले
अभी तक दुनिया के 101 क्षेत्रों में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज हो चुके हैं। हालांकि, इनमें से केवल 52 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पिछले सात दिनों में इसका कोई मामला सामने आया है और इनमें से भी 27 में केवल दो-चार मामले दर्ज हो रहे हैं। अमेरिका में अभी तक इसके सबसे ज्यादा 17,994, स्पेन में 6,543, ब्राजील में 4,693, फ्रांस में 3,547, जर्मनी में 3,467, ब्रिटेन में 3,413, पेरू में 1,463 मामले सामने आए हैं।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ दवा का ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दवा का क्लिनिकल ट्रायल (इंसानों पर परीक्षण) शुरू हुआ है। ट्रायल में टेकोविरिमैट (Tecovirimat) की सुरक्षा और प्रभावकारिता को परखा जाएगा। इस दवा को शुरुआत में स्मॉलपॉक्स से लड़ने और वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकने के लिए विकसित किया गया था। मंकीपॉक्स के खिलाफ जानवरों में उत्साहवर्धक नतीजे देने के बाद अब इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुआ है, जो दिसंबर तक पूरा हो सकता है।